तीज ही नहीं बल्कि हिन्दू धर्म में हर व्रत या त्यौहार का विशेष महत्त्व होता है और हर एक व्रत अलग-अलग देवी-देवता को समर्पित होता है और इस दिन उनका पूजन बहुत लाभकारी होता है। इसी प्रकार व्रत, त्योहारों में से एक है हरतालिका तीज का त्यौहार।
इस दिन विवाहित स्त्रियां, माता और भगवान् शिव जी से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मांगती है। वही कुवारी कन्याएँ भी हरतालिका तीज का व्रत अच्छे और नेक पति पाने की कामना हेतु रखती हैं। हर साल तीज के दिन स्त्रियाँ सोलह सिंगार करती हैं। मेहदी लगाती हैं, हरे रंग का चूड़ी और वस्त्र पहनती हैं।
शादी-सुधा औरतें अपना पहला तीज अपने मायके में मनाती हैं इसलिए उनके लिए ससुराल से कुछ कपड़े, गहने, फल, मिठाई और सिंगार के सामान भेजे जाते हैं। जिससे वह अपने मायके में ही रह कर अपना व्रत रख सके। इसमें स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी आयु की आराधना करती हैं।
त्यौहार के नाम |
तीज |
तीज के प्रकार |
सावन तीज और हरतालिका तीज |
कब आता है |
सावन , भादो |
व्रत |
24 घंटा |
पूजा |
भगवान शिवजी, माता पार्वती जी |
तीज क्या है (What is teej)
इतिहास और प्राचीन रीतरिवाज (History and ancient customs)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया के दिन मनाया जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने, भगवान् शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए लगातार 108 वर्षो तक घोर तपस्या की थी। लेकिन भगवान् शिव जी बैरागी थे।
उन्होंने माता पार्वती को समझाया कि वह महलों में रहने वाली राजकुमारी हैं। कैलाश पर्वत पर सुख -सुविधा विहीन जीवन वो नहीं जी सकेंगी। लेकिन माता पार्वती हर त्याग के लिए तैयार थी। माता पार्वती से प्रसन्न होकर भगवान् शिव जी ने उन्हें तीज के ही दिन अपने पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। तत्पश्चात भगवान शिव जी और माता पार्वती के साथ शादी हो गयी थी।
उसके बाद उनके पुत्र हुए। जिनमे से एक का नाम कार्तिकेय और दूसरे का नाम गणेश था। जिनके जन्मदिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इस दिन महिलाये अटल सुहाग की कामना करती हैं।
माना जाता है कि इस दिन ही भगवान् शिव जी पृथ्वी पर अपने ससुराल आते हैं। सावन महीने में पड़ने वाली ये तीज त्यौहार सुहागन स्त्रियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गौरी-शंकर की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
तीज के प्रकार (Types of teej)
तीज दो प्रकार के होते हैं।
- सावन तीज
- हरतालिका तीज
सावन तीज (Sawan teej)
यह तीज हर साल श्रवण महीने के शुक्ल पक्ष के तृतीया के दिन मनाया जाता है। यह तीज इस बार 18 अगस्त 2023 दिन सोमवार को मनाया जायेगा। इसमें लोग पूड़ी-खीर या हलवे का भोग लगाते हैं। सावन की तीज को हरियाली तीज भी कहते हैं क्योकि यह मानसून के मौसम में आने वाला तीज होती है। इसमें वातावरण हरियाली से हरा-भरा रहता है। इसमें भगवान शिव और माता पार्वती जी की आराधना करना शुभ माना जाता है। सावन के तीज में व्रत रहने से सभी सुहागिन औरतों को सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त होता है।
आपको पता है, कि सावन में झूला क्यों झूलना चाहिए ? क्योकि इससे शरीर स्वस्थ्य रहता है, मनोरंजन होता है और धार्मिक दृष्टि से देखे तो भगवान कृष्ण ने राधा जी को,भगवान शिव जी ने माता पार्वती जी को और भगवान राम जी ने माता सीता को सावन में झूला झुलाया है। जिसको याद करके झूला झूलते समय कजरी गीत गाया जाता है।
हरतालिका तीज (Haratalika teej)
यह तीज भादो महीने के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह 18 सितम्बर 2023 को मनाया जायेगा। हरतालिका तीज को लेकर लोगों के अलग-अलग मत हैं कि एक बार माता पार्वती का उन्ही के सखियों ने अपहरण कर लिया था और उन्हें लेकर जंगल में चली गयी थी।
ऐसे में माता पार्वती ने बालू का शिवलिंग बनाकर भगवान् शिव जी की तपस्या में लीन हो गईं थी । तब से ही शादी-सुदा औरते इसे मानती हैं। इसमें हरित का अर्थ-हरण और तालिका का अर्थ-सखी होता है। इसलिए इसे हरतालिका कहा जाता है।इस दिन भगवान् शिव जी और माता पार्वती जी के प्रेमपूर्ण बंधन को याद करने के लिए मनाया जाता है। ये त्यौहार कजरी तीज के नाम से भी प्रसिद्ध है।
तीज कब और किस महीने में आता है? (When and in which month does Teej come?
तीज दो प्रकार की होती है -सावन तीज और हरतालिका तीज। सावन तीज (हरियाली तीज ) हर साल श्रावण मास शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को मनाया जाता है और हरतालिका तीज (कजरी तीज ) भादो मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया को मनाया जाता है। इसमें इस दिन औरते नीरा जल का व्रत रखती हैं और ज्यादा नमक और ऑयली चीज़ो का सेवन करने से बचाना चाहिए। इस व्रत में सुबह 3 बजे से पहले कोई भी तरल पदार्थ ले सकते हैं, परन्तु नमक की चीज़े नहीं खानी चाहिए, क्योकि ऐसा नहीं करने से आपका व्रत पूरा नहीं माना जाता है।
तीज के धार्मिक अर्थ (Religious meaning of teej)
हिन्दू धर्म में धार्मिक अर्थ है कि माता पार्वती जी, शिव जी के लिए विधिवत पूजा करने के साथ निर्जला व्रत रखती थी। हिन्दू पंचांग के अनुसार, भद्रा पद के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। इसे कजरी तीज भी कहते हैं।
इस दिन हिन्दू धर्म की शादी-सुधा औरतें अपने पति की दीर्घायु के लिए मनोकामना करती हैं। इसमें न केवल शादी-सुदा औरतें बल्कि कुवारी लड़कियां भी अपने लिए अच्छे व नेक पति कि कामना करती है। इसमें लोग मिट्टी की मूर्ति व भगवान् शिव जी की शिवलिंग बनाकर पूजा करते है। इस दिन औरते अपना सोलह सिंगार करती हैं, मेहदी लगाती हैं और हरे रंग का चूड़ी व वस्त्र धारण करती है।
तीज के दिन भगवान् शिव जी और माता पार्वती जी का पूजन क्यों किया जाता है? (Why are Lord Shiva and Mother Pravati worshiped pn the day of Teej?)
ऐसा मान्यता है कि माता पार्वती जी ने हरतालिका तीज का व्रत सबसे पहले किया था। जिसकी वजह से उन्हें भगवान् शिव जी पति के रूप में प्राप्त हुए थे। इसी कारण वश तभी से तीज में भगवान् शिव जी और माता पार्वती जी की पूजा-अर्चना करते है। इस तीज में सबसे ज्यादा मान्यता देवी पार्वती जी को दिया जाता है, क्योकि उनके श्रध्द्रा पूर्वक पूजा व तपस्या के पश्चात् भगवान् शिव जी से मिलन की प्राप्ति हुयी थी।
तीज उत्सव (Teej festival)
जिस तरह से हमारे हिन्दू धर्म में होली, दीपावली, नागपंचमी आदि त्यौहार मानते हैं उसी तरह से हम लोग तीज उत्सव या तीज त्यौहार को भी मानते हैं। बहुत से जगह पर तीज को काफी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार के दिन हम लोग अच्छे-अच्छे पकवान बनाते हैं, जैसे-
- खीर,
- पूड़ी,
- हलुवा,
- कचौड़ी,
- मठरी,
- लड्डू आदि।
तीज उत्सव के दिन मेला भी लगता है। जिसमे विभिन्न प्रकार के
- झूले,
- शरकश ,
- गीत-संगीत,
- नृत्य,
- खिलौने,
- गुब्बारे व तरह- तरह के खाने-पीने की भी लगते हैं।
तीज व्रत (Teej Fast)
तीज व्रत को उत्तर भारत में स्त्रियाँ काफी अच्छे से मनाती हैं। इसमे वे सब अपने पति की लम्बी आयु के लिए भगवान शिव जी और गौरी पार्वती जी से विनती करती हैं और निर्जला व्रत रहती हैं। हरतालिका तीज को भारत के मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा मनाया जाता है।
तीज का महत्व (Importance of teej)
जिस तरह से हमारे देश में हर एक त्यौहार का अलग-अलग महत्त्व होते हैं। उसी प्रकार हरतालिका तीज का भी अपना एक महत्त्व होता है। इसमें औरते 16 सिंगार करके, मेहंदी लगाकर निर्जला व्रत रहती हैं। इस व्रत का महत्त्व अपने पति की लम्बी आयु और अपने परिवार की खुशहाली के मनाया जाता है। यानी विवाहित जीवन को सुख और समृद्धि बनाने के लिए व्रत रखते हैं।
तीज के रोचक रीतिरिवाज एवं परम्पराएँ (Interesting customs and traditions of teej)
तीज के दिन तीनों समय में भगवान् शंकर और माता पार्वती जी की पूजा करते हैं। इसमें बेटियों को उनके ससुराल से उपहार पैकेट भेट के रूप में दिया जाता है। इसमें उनके लिए 16 सिंगार के सामान और कुछ कपड़े व गहने होते हैं। हरतालिका तीज के दिन ये सभी चीज़े पहनती हैं और अपने पति परमेश्वर के लिए और परिवार के खुशहाल के लिए व्रत रहती हैं।
तीज में गीत, संगीत और नृत्य क्यों होते हैं? ( Why are there songs, music and dance in Teej?)
तीज के दिन महिलाएं और लड़कियां जगह-जगह पर एकत्रित होकर आपस में नाच-गाने और भजन, संगीत आदि करते हैं। तीज के दिन ऐसा इसलिए करते हैं क्योकि इससे इनकी खुशियों का पता चलता है। इस दिन स्त्रियां ख़ुशी से अच्छे-अच्छे भोजन भी बनाती है। जिस तरह से होली रंगों का त्यौहार होता है, उसी तरह ये गीत, संगीत और नृत्य का त्यौहार होता है। इस त्यौहार कजरी तीज के नाम से भी प्रसिद्ध है।
तीज की खासियत और तीज का खास भोजन ( Specialty of Teej and special food of Teej )
हरियाली तीज पर तरह-तरह के पकवान बनाये जाते है। हरियाली तीज विशेष रूप से इन पकवानों के बिना पूरा नहीं होता है। तीज के दिन विशेष रूप से
- घेवर,
- ख़ीर,
- हलवा,
- पूड़ी,
- काजू की बर्फी,
- दाल बाटी और
- कचौड़ी आदि
जैसे पकवान बनाये जाते हैं। तीज का व्रत रहने से मन को काफी सुकून मिलता है।
तीज का त्यौहार कहाँ-कहाँ मनाया जाता है? (Where is the festival of Teej celebrated?)
तीज का त्यौहार हमारे भारत देश में अलग-अलग राज्यों में मनाया जाता है। परन्तु तीज त्यौहार प्रमुख रूप से हमारे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में मनाया जाता है। यह त्यौहार हर साल मानसून महीने में ही आता है और स्त्रियाँ तीज के दिन 16 सिंगार करके अपने पति के लिए व्रत रखती हैं। तीज के दिन वे लोग भगवान् शिव जी और माता पार्वती जी की पूजा करते हैं और उनकी कथा भी सुनते हैं एवं साथ में ॐ नमः शिवाय का जाप भी करते हैं।
तीज के दिन आपको क्या-क्या करना चाहिए? (What should you do on the day of Teej?)
- तीज के दिन सभी स्त्रियों को व्रत रहना चाहिए।
- तीज के दिन सभी औरतें अपना सोलह सिंगार करती हैं। जैसे-मेहंदी लगाती है, बिंदी, हरी चूड़ी, पायल, बिछुआ, नाथ, सिंदूर आदि सब चीज़ पहनती हैं।
- तीज के दिन हमे मंदिर जाना चाहिए ।
- तीज में घर को सुरक्षित और व्यवस्थित करना चाहिए।
- तीज के दिन प्रसाद तैयार किया जाता है। जिसमे खीर,पूड़ी, हलुआ, कचौड़ी,व फल-फूल आदि होते हैं।
तीज के दिन क्या-क्या नहीं करना चाहिए? (What you should not do on the day of Teej?)
- तीज के दिन हमें ज्यादा ऑयली चीज़ो का सेवन करने से बचना चाहिए।
- तीज में ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थो का और ड्राई फ्रूट का सेवन करना चाहिए।
- व्रत के दौरान खट्टे फलो का सेवन नहीं करना चाहिए क्योकि इससे पेट में गैस बनने का खतरा रहता है।
- तीज के व्रत के दौरान हमें नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
- तीज के दिन किसी बात को लेकर बात-विवाद नही करना चाहिए।
- इस दिन हमें कोई झूठ नहीं बोलना चाहिए।
निष्कर्ष (conclusion)
तीज के दिन भगवान् शिव जी और माता पार्वती जी की पूजा अच्छे और नेक पति पाने और उनकी दीर्घायु के लिए की जाती है। इस त्यौहार में स्त्रियां खाना के साथ-साथ पानी भी नहीं पीती हैं। फिर भी तीज को ख़ुशी और नयी ऊर्जा के साथ व्रत रहती हैं। इससे हमारे भारतीय परम्परा की पहचान होती है।