मनुष्य को यह पृथ्वी प्रकृति से मिली हैं। जब ईश्वर ने पृथ्वी का निर्माण किया होगा तो ये कभी नहीं सोचा होगा कि मनुष्य जमीन के टुकड़े-टुकड़े कर देगा और आपस में उसी टुकड़ो के लिए लड़ने लगेंगे। पहले मनुष्य ने पृथ्वी को बड़े-बड़े टुकड़ों में बाट दिया, जिसको अलग-अलग देश के नाम दिए गए, फिर देश को भी अलग-अलग राज्यों और जिलों में विभाजित कर दिया। अंत में मनुष्य घर को विभाजित किया और फिर घर में भी प्रत्येक सदस्य आपस में लड़ने लगे। यहाँ तक की भाई-भाई भी आपस में जमीन के लिए लड़ते हैं। इस तरह से सब आपस में जमीन के लिए एक-दूसरे से लड़ने और मरने के लिए तैयार रहते हैं। पुराने ज़माने के राजा, महाराजा भी अपने-अपने राज्य को विस्तृत करने के लिए दूसरे राज्यों पर आक्रमण करते थे और युद्ध करते थे। जैसे-जैसे हमारे भारत में राजाओं का पतन हुआ और लोकतंत्र राज्य बनाने के लिए तैयारी चल रही थी तभी ब्रिटिश अंग्रेजों ने, सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत पर आक्रमण कर दिए और हमारे भारत देश को गुलाम बना लिया। अब भारत देश पर अंग्रेज अपना शासन चलाते थे और मासूम जनता पर बहुत ही अत्याचार करते थे। भारत में अलग-अलग देश के व्यापारी आते रहे और देश को लुटते थे और यहाँ का सारा सामान अपने देश लेकर जाते थे। भारत देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था क्योकि भारत में बहुतायत मात्रा में सोने, चाँदी, हीरे, मोती, वस्त्र, हथियार, मसाले, वेदशास्त्र आदि सब चीज़े उठाकर अपने देश लेकर चले गए और भारत को गुलाम बना कर भारत की ही जनता पर अत्याचार करते थे। जिनसे परेशान होकर जनता उनकी बातों को मान कर काम करने लगती थी। कुछ महान लोग उस समय पर भी थे जिन्हें पूरा यकीन था कि भारत को आज़ाद कराया जा सकता है और पहले जैसा बनाया जा सकता है तथा सुख-शांति से जीवन-यापन किया जा सकता है, तब नाम आता है गाँधी जी का। जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन तन-मन-धन सब कुछ भारत को आज़ादी दिलाने में समर्पित कर दिया। जब देश अंग्रेजों के गुलाम था, तब किसी ने यह नहीं सोचा था कि भारत देश फिर से पहले जैसे प्रगति करेगा और चाँद पर अपना चंद्रयान-3 सफलता पूर्वक लांच करेगा। गाँधी जी सत्य और अहिंसा के पथ पर चलते हुए बहुत से त्याग किये और कष्ट भी सहन किये तो दोस्तों आज हम जानेगे कि गांधी जी अर्थात बापू जी कौन थे और उन्होंने भारत को कैसे आज़ाद कराया। हमारा देश महान स्त्रियों और पुरषों का देश है जिहोंने देश के लिए ऐसे महान कार्य किये हैं जिन्हें भारतवासी सदा याद रखेंगे। कई महापुरुषों ने हमारी आज़ादी की लड़ाई में अपना तन-मन-धन और परिवार सब कुछ समर्पित कर दिया। ऐसे ही महानपुरूषों में से एक थे महात्मा गाँधी। महात्मा गाँधी युग पुरुष थे जिनके प्रति पूरा विश्व आदर और सम्मान की भावना रखता है।
परिचय (Introduction)
गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के एक तटीय शहर, पोरबंदर में हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। लोग इन्हें प्यार से बापू कह कर बुलाते थे। इनके पिता जी का नाम करमचंद गांधी तथा माता जी का नाम पुतली बाई था। महात्मा गांधी जी के पिता एक सफलतापूर्ण व्यापारी थे और ये पोरबंदर के दीवान भी थे तथा माता जी जैन धर्म के अनुयायी और गृहणी थी। इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा बाई था। महत्मा गाँधी हमारे भारत देश के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। जिस प्रकार एक पिता अपने बच्चे के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करके हमेशा अपने बच्चे को आगे बढ़ते देखना चाहता है उसी तरह हमारे गांधी जी भी अपने देश को अंग्रेजों से मुक्त करके आगे बढ़ाना चाहते थे। इनका हमारे भारत देश को आज़ाद कराने में विशेष महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसलिए सुभासचन्द्र बोस ने महात्मा गांधी जी को 4 जून 1944 को राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किये थे। तभी से सब लोग उनको राष्ट्रपिता महात्मा जी के नाम से जानने लगे। ये हमारे देश को स्वतंत्रता दिलाने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिए थे। इन्होंने “करो या मरो” का नारा दिया था। गांधीजी हमेशा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते थे।
जन्म | 2 अक्टूबर 1869 |
स्थान | गुजरात के पोरबंदर |
पिता का नाम | करमचंद गांधी |
माता का नाम | पुतली बाई |
पत्नी का नाम | कस्तूरबा बाई |
मृत्यु | 30 जनवरी 1948 ई |
महात्मा गांधी जी की शैक्षिणिक योग्यता (educational qualification)
गांधी जी की प्राम्भिक पढाई उन्हीं के गांव से हुयी थी। गाँधी जी 9 वर्ष की उम्र में ही उन्होने राजकोट शहर में अपने घर के पास एक स्थानीय स्कूल में दाखिला लिये थे। जहाँ से उन्होंने इतिहास, भूगोल, अंकगणित और गुजराती भाषाओं के बारें में अध्ययन प्राप्त किये। 11 वर्ष की आवस्था में ही उन्होंने राजकोट के प्रशिद्ध हाईस्कूल, अल्फ्रेड हाई स्कूल में शामिल हो गए। वहां पर वे एक औसतन छात्र के रूप में शामिल थे। इनकी एक मात्र साथी किताबे और स्कूली पाठ थे। उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते थे।
10 अगस्त 1888 को, मात्र 18 वर्ष की उम्र में गांधी जी पोरबंदर से मुंबई के लिये चल दिए। मुंबई जाने पर, वे वहाँ पर मोध बनिया समुदाय के साथ रहे। कुछ दिन वहाँ पर रहने के बाद वे अपने भाई के साथ मुंबई से लन्दन के लिये रवाना हो गए। लन्दन पहुंच कर उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज में प्रवेश लिये। यहाँ पर उन्होंने 1888 – 1889 तक हेनरी मार्ले के साथ अंग्रेजी साहित्य के बारें में अध्ययन किये।
गांधी जी वकील बनने के इरादे से इनर टेम्पल के इंस ऑफ़ कोर्ट स्कूल ऑफ़ लॉ में प्रवेश ले लिये। वहाँ पर उन्होंने कानून का अभ्यास किया। जिससे उनके अंदर से शर्मीलापन कुछ हद तक दूर हो गया।
महात्मा गांधी जी की उपलब्धियां (Achievements of Mahatma Gandhi)
गाँधी जी अपने जीवन में अनेक महान और महत्वपूर्ण काम किये हैं, जिनको अपने बहुत से कामों में सफलता हासिल हुयी है।
भारत को स्वतन्त्र कराना (liberating India)
महात्मा गाँधी जी का सबसे बड़ा और मुख्य उद्देश्य भारत को अपना स्वराज्य दिलाना। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी में भारत देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराये। इसके लिये उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग को अपनाया था।
सत्याग्रह आंदोलन (Satyagraha Movement)
सत्याग्रह आंदोलन एक ऐसा आंदोलन था जिसमे हमें बिना हथियार के हिंसा किये बिना अपने लक्ष्य को प्राप्त करना था।
अहिंसा (nonviolence)
गाँधी जी को अहिंसा के पुजारी थे। गाँधी जी ने हमेशा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चल भारत को ब्रिटिश शासन से आज़ाद कराया।
खादी वस्त्रों का उपयोग (use of khadi clothes)
महात्मा गांधी जी हमेशा स्वदेशी वस्तुओं को उपयोग करने के लिए प्रेरित किये और विदेशी सामानों को बहिस्कृत करने के लिए कहें।
छुआ-छूत को दूर करना (eliminate untouchability)
महात्मा गांधी जी ने दलितों की समस्याओं को दूर करने के लिए हरजन संघ की स्थापना की। जिससे उन्होंने सामाजिक सुधार की तरफ कदम उठाया।
महात्मा गांधी का व्यक्तित्व (Personality of Mahatma Gandhi)
अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी जी का व्यक्तित्व बहुत ही आदर्शवादी रहा है। ये अपने पूरे जीवन में हमेशा सादा जीवन और उच्य विचार में विश्वास रखते थे। इन्होंने अपना पूरा जीवन भारत और भारतवासियों को समर्पित कर दिए। जिनकी वजह से लोग इन्हें समाज सुधारक के नाम से भी जानते हैं। गाँधी जी राजनीतिक, नैतिकवादी और राष्ट्रवादी विचार धारा के थे। गाँधी जी शाकाहारी व्यक्तित्व के थे इसलिए ये जब लन्दन गए थे तो वहाँ पर भी उन्होंने शाकाहारी मित्रो की खोज की। शाकाहारी मित्रों की खोज में ही गाँधी जी थियोसोफिकल सोसाइटी के कुछ मुख्य सदस्यों से मिले। इस सोसाइटी की स्थापना विश्व बंधुत्व के लिए 1875 ई में हुयी थी और इसमें बौद्ध धर्म और सनातन धर्म के ग्रंथों का संकलन था। गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में भेद-भाव का सामना करना पड़ा। ट्रैन के प्रथम श्रेणी की वैध्य टिकट होने के बाद भी उन्हें तृतीय श्रेणी में जाने के लिए मजबूर किया गया और मना करने पर उनको ट्रैन से फेक दिया गया। गाँधी जी सदा साधारण जीवन व्यतीत करते थे।
देश को स्वतंत्र कराने में महात्मा गांधी का योगदान (Contribution of Mahatma Gandhi in liberating the country)
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का देश को स्वतन्त्र कराने में महत्वपूर्ण और विशेष योगदान रहा है। उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। इनके द्वारा विभिन्न प्रकार के आंदोलन चलाये, जैसे- भारत छोड़ो आंदोलन, सत्याग्रह आंदोलन, नमक मार्च, दांडी की यात्रा आदि ऐसे आंदोलन थे जिनका भारत को आज़ाद कराने में अद्भुत योगदान रहा है। गाँधी जी के एक बार कहने पर लाखों लोग एकत्रित हो जाते थे, जिससे वे एक अच्छे और महान नेता के रूप में भी जाने जाते हैं। इन्होंने विदेशी सामानों को बहिष्कृत करने और स्वदेशी सामान प्रयोग करने के लिए कहा। इससे विदेशी कंपनियों जैसे- एस्ट इंडिया कंपनी का साथ ही और भी बहुत सी कंपनियों का नुकसान हुआ। गाँधी जी द्वारा उठाया गया ये कदम देश को स्वत्रंत कराने में काफी मददगार साबित हुआ था। गाँधी जी ने छुआ-छूत का विरोध किये, जिसके परिणाम स्वरूप भारत में सब लोग एक जुट होकर लड़ना शुरू किया और भारत देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराया।
महात्मा गाँधी जी द्वारा चलाये गए विभिन्न आंदोलन (Various movements launched by Mahatma Gandhi)
गाँधी जी देश को स्वतन्त्र कराने के लिए विभिन्न आंदोलन चलाये गए। जिनमें से कुछ प्रमुख्य आंदोलन निम्नलिखित है –
चंपारण आंदोलन 1917 (Champaran Movement 1917)
महात्मा गाँधी जी द्वारा चलाया गया यह सबसे पहला आंदोलन था। 1915 ई में जब गाँधी जी भारत वापस लौटे तो उस समय भारत में अंग्रेजो का अत्याचार बहुत ज्यादा चरम पर था। अंग्रेंजो ने किसानों को उनकी उपजाऊ भूमि पर नील तथा अन्य नकदी फसलों को उत्पादित करने के लिए मजबूर किये थे और शाम को उनको बस एक टाइम का खाना देते थे। चम्पारण में किसानों की दयनीय स्थिति के बारें में जब गाँधी जी को पता चला तो उन्होंने तुरंत 1917 में इस जिले में आने और देखने का निर्णय लिये। गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को ध्यान में रखते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया और अंग्रेजी जमींदारों को झुकने पर मजबूर कर दिए। इस आंदोलन को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के बाद उनको महात्मा की उपाधि मिली।
खेड़ा आंदोलन 1918 (Kheda Movement 1918)
यह आंदोलन खेड़ा जिले में किसानों का अंग्रेजों द्वारा कर-वसूली के विरूद्ध चलाया गया था। पांच महीनों तक लगातार यह आंदोलन चलने के बाद मई 1918 ई में जल-प्रलय समाप्त हो गय। तभी अंग्रेज सरकार भी झुककर गरीब किसानों से कर वसूली बंद कर दी और उनकी सम्पत्ति भी लौटा दी।
असहयोग आंदोलन 1920 (Non-Cooperation Movement 1920)
गाँधी जी ने सत्य और अहिंसा को अपने शस्त्र के रूप में उपयोग किये और सदा इसी मार्ग पर चलते रहे। यह आंदोलन महात्मा गाँधी जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 1920 में चलाये थे।
नमक सत्याग्रह आंदोलन 1930 (Salt Satyagraha Movement 1930)
यह आंदोलन गाँधी जी द्वारा चलाये गए सभी आंदोलन में सबसे महत्वपूर्ण और उपयोगी आंदोलन साबित हुआ था। इसमें गाँधी जी ने 12 मार्च,1930 में साबरमती आश्रम से लेकर दांडी गांव तक 24 दिनों तक गाँधी जी और उनके सहयोगिओं द्वारा पैदल ही यात्रा की गयी थी।
भारत छोड़ो आंदोलन 1942 (Quit India Movement 1942)
इस आंदोलन की शुरुआत गाँधी जी द्वारा 1942 में की गयी थी। इसमें गाँधी जी ने समूह बनाकर नागरिकों को एकत्रित करके अंग्रेजों को भारत छोड़ कर जाने के मजबूर कर दिए। इसमें गाँधी जी ने “करो या मरो” का नारा दिए थे।
महात्मा गाँधी जी को अहिंसा के पुजारी क्यों कहा जाता था? (Why was Mahatma Gandhi called the priest of non-violence?)
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ने सत्य और अहिंसा के दम पर हमारे भारत देश को अंग्रेजो के चंगुल से मुक्त कराये। उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपने शास्त्र के रूप में उपयोग किये। इसलिए गाँधी जी को अहिंसा के पुजारी कहा जाता है। गाँधी जी ने सम्पूर्ण संसार को अहिंसा के मार्ग पर चलने का उपदेश दिया। गाँधी जी द्वारा दिए गए इस उपदेश से लोगों में लोकप्रियता की भावना प्रेरित हुयी। गाँधी जी बचपन से ही अहिंसा का पालन करते थे और जीव-जंतुओं पर अत्यंत दया करते थे। अंहिंसा नफरत को हरा कर प्रेम की भावना को जगाती है। उनका मानना था कि अन्याय को हराने के लिए अंहिंसा ही एक मात्रा हथियार है, जिससे अपने भारत देश को अंग्रेजो से मुक्त करा सकते हैं।
महात्मा गाँधी जी द्वारा गाँधी जी द्वारा चलाया गया डांडी मार्च (Dandi March started by Mahatma Gandhi)
गाँधी जी ने नमक कानून को तोड़ने और समुद्र से नमक का उत्पादन करने के 12 मार्च 1930 को 24 दिनों तक लगातार साबरमती आश्रम से लेकर दांडी तक यात्रा की। दांडी यात्रा को सत्याग्रह आंदोलन भी कहा जाता है। अंग्रेजों ने भारत के लोगों पर नमक का कर बढ़ा कर उनके ऊपर अत्याचार करते थे। इसलिए गाँधी जी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर दांडी के लिए निकल निकल गए और नमक बना कर उनके नमक कर कानून को भंग कर दिए।
महात्मा गांधी जी के विचार (thoughts of Gandhi ji)
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के विचार अहिंसा से परिपूर्ण होते थे और मानवता से भरे हुए रहते थे। गाँधी जी के विचार आयाध्यात्मिक विकास के लिए प्रेरित होते थे और भैतिकवाद के विरोधी थे। गाँधी जी के दो महत्वपूर्ण विचार, सत्य और अहिंसा थे। ये दोनों गाँधी जी के आधारभूत सिद्धांत थे। इनका ऐसा मानना था कि अहिंसा करने वाले मनुष्य किसी दूसरे को कभी शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ा नहीं पंहुचा सकते हैं।
अहिंसा और सत्याग्रह का आंदोलन (Movement of non-violence and Satyagraha)
यह एक अलग तरह का जन आंदोलन था। गाँधी जी के ये सत्य और अंहिंसा दो परम सिद्धांत थे। गाँधी जी का कहना था कि कोई भी व्यक्ति अपने लक्ष्य पर पहुंचने के लिए हमेशा सत्य का ही मार्ग चुनना चाहिए। अहिंसक व्यक्ति कभी किसी दूसरे का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न नहीं कर सकता है। गाँधी जी बचपन से ही सत्य के मार्ग पर चलते थे।भारत में जहाँ पर खून की नदियाँ बह रही थी वही पर गाँधी जी ने अपने सूझ-बुझ से सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए भारत देश को अंग्रेजो के चंगुल से मुक्त कराने में सफल रहें। अमृतसर में, 13 अप्रैल 1919 ई में जब जलिया वाला बाग हत्याकांड हुआ था तब ब्रिटिश सरकार ने भारत के निहत्थे नागरिकों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। लगभग 10 मिनट तक लगातार गोलाबारी हुयी, जिसमें हज़ारों सैनिकों की जान चली गयी और अनगिनत लोग घायल हुए थे। ये घटना भारत को आज़ाद कराने में की गयी सबसे क्रूर और भायनक स्थिति थी। इस घटना को लोग इतिहास में आज भी याद करते हैं।
निष्कर्ष (conclusion)
दोस्तों हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी से ये सीख मिलती है कि किसी काम को लगन और निष्ठा से किया जाये तो वह आवश्य पूर्ण होता है और इसके लिए हमें हमेशा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते रहना चाहिए। गाँधी जी के प्रेम और व्यवहार का देश-विदेश पर भी असर पड़ा। गाँधी जी हमेशा सादा जीवन जीते थे। उनके हिसाब से सादा जीवन और उच्य विचार रखना चाहिए। दोस्तों, हमें बच्चो को इनके बारें में जरूर बताना चाहिए। ताकि बच्चे उनके अमूल्य रत्न जैसे सत्य और अहिंसा के पथ पर आगे बढ़े और अपने घर और देश की सेवा करें।
- मेरे विचारों के हिसाब से गांधी जी ने छुआ-छूत को दूर किये और विदेशी वस्त्रों को छोड़ कर स्वदेशी वस्त्र अपनाने के लिए प्रेरित किया। विभिन्न प्रकार के समाजसुधार जैसे कार्य किये।
- गांधी जी द्वारा चलाये गए असहयोग अवज्ञा आंदोलन देश को आज़ाद कराने में एक नया दिशा प्रदान की थी।
गाँधी जी के अनुयायी में की गयी आंदोलनों में से एक है स्वदेशी सामानो का उपयोग करना और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करना। जिससे चरखा और लघु उद्योग को बढ़ावा मिला और लोगों को रोजगार, जिससे देश में रहने वाले लोगों के लिए लाभकारी हुआ और देश के आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ। - गाँधी जी और उनके सहयोगियों द्वारा 24 दांडी यात्रा करके नमक कानून तोड़ा, जिससे भारत के लोगों को नमक कर से मुक्ति मिल गयी।
- खेड़ा का किसान सत्याग्रह आंदोलन चला कर गाँधी जी ने किसानों की सम्पत्ति वापस दिलाई और उनको नील की खेती करने से मना किये। गाँधी जी के इस आंदोलन के सफल होने के बाद देश के सभी किसान अत्यंत खुश हुए थे।
- गाँधी जी के नेतृत्व में 1942 ई में “करो या मारो” का नारा देकर भारत छोड़ो आंदोलन चला कर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश कर दिए। इस प्रकार से गाँधी जी और अनेक महान क्रांतकारियों ने मिलकर देश को आज़ाद कराया।
30 जनवरी 1948 ई को नाथूराम गोडसे के द्वारा गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी। जिस समय इनकी मृत्यु हुयी थी तब देश को आज़ादी मिले बस 5 महीने और 15 दिन ही हुए थे। हम सब भारतवासी उनके पुण्यतिथि को हरसाल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती के रूप में मनाते हैं और उनके बलिदान को यादगार बनाते हैं। हम सब साथ मिलकर झंडा रोहण करते हैं और राष्ट्रगान गाते हैं। बच्चे और बच्चियों द्वारा स्कूल में अनेकों सांस्कृतिक कार्यकर्म करते हैं, लोकगीत और डांस भी करते हैं। हमारे स्कूल के टीचर स्वतंत्रता से जुड़ीं कहानियाँ और उनके त्याग के बारें में बताते हैं। सबसे अच्छा प्रतिभाग करने वाले को पुरस्कार भी देते हैं और अंत में मिठाई लेकर बच्चे अपने-अपने घर चले जाते हैं। इनके द्वारा किये गए महान कार्य और महात्मा गांधी जी को याद करने के लिए हर साल 2 अक्टूबर को उनका जन्म दिन मनाते हैं।
Year | Title |
1869 | जन्म ( 2 अक्टूबर 1869 ) |
1883 | शादी (कस्तूरबा बाई जी से ) 4th wife |
1885 | पिता की मृत्यु |
1887 | हाई स्कूल |
1888 | इंग्लैण्ड गए |
पुत्र | 1888 – हरीलाल गान्धी , 1892 – मणिलाल गान्धी, 1897 – रामदास गान्धी, 1900 – देवदास गांधी |
1891 | कानून की पढाई की। |
1893 | कानून का अभ्यास |
1914 | दक्षिण अफ्रीका (1893-1914) में नागरिक अधिकारों के आन्दोलन |
1896 | अपनी पत्नी (कस्तूरबा बाई) और अपने दो सबसे बड़े बच्चे को लेने आये थे और विदेशों में भारतीय के लिए समर्थन जुटाने के लिए भारत आये थे। |
1915 | दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आये ( 9 जनवरी 1915 ) |
1915 | रविंद्रनाथ टैगोर / राजवैद्य जीवराम कालिदास ने गाँधी जी को “महात्मा” की उपाधि दी थी। |
1917 | चम्पारण आंदोलन |
1918 | खेड़ा आंदोलन |
1919 | खिलाफत आंदोलन |
1920 | असहयोग आंदोलन तथा दुर्भाग्य से इसीदिन बाल गंगा धर तिलक की मृत्यु ( 1 अगस्त 1920 ) |
1921 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर |
1930 | नमक सत्याग्रह आंदोलन (dandi yatra) |
1933 | दलित आंदोलन |
1940 | “बापू” नाम दिया गया |
1942 | “अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन” |
1944 | “राष्ट्रपिता” की उपाधि सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा ( 04 जून 1944 ) |
1948 | गाँधी जी की हत्या (नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मार कर ) ( 30 जनवरी 1948 ) |
1948 | महात्मा गांधी के अस्थि कलश जिन 12 तटों पर विसर्जित किए गए ( 12 फरवरी 1948 ) |