खुशबू आती है जो हर उम्र के लोगों को बहुत पसंद आती है और आँखें बंद करके जब इस खुशबू का आनंद लेते हैं तो एक अजीब सी आंतरिक पूर्ती का एहसास होता है। जब हम अपने हाथों को उठा कर बारिश की बूंदों को अपनी हथेलियों में गिरने देते हैं तो आँखें अपने आप बंद हो जाती हैं और तन-मन झूमने लगता है, ये प्रकृति का हमसे जुड़ाव ही है, जिनको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता, केवल एहसास किया जाता है।नमस्कार दोस्तों, स्वागत है, आपका हमारे ब्लॉग में
आज हम लोग जानेंगे, कि सावन क्या है और लोग सावन में ही झूला क्यों झूलते हैं
What is Sawan | सावन क्या है ?
सावन (Sawan) एक मासिक हिन्दू पंचांग (Hindu calendar) में आने वाले महीने का नाम है, जो हमारे हिन्दू धर्म में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। सावन मास भारतीय हिन्दू कैलेंडर के श्रावण (Shravan) मास के नाम से भी जाना जाता है और यह जुलाई और अगस्त के बीच का मास होता है।
सावन के महीने का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा है, और इसका विशेष महत्व शिव पूजा और व्रतों के लिए होता है। सावन के महीने में श्रावण सोमवार (Shravan Somvar) के रूप में भगवान शिव की पूजा की जाती है और भक्त इस समय शिवलिंग पर जल (मिल्क, दही, गंगाजल, आदि) चढ़ाते हैं।
सावन के महीने में, भारत में विभिन्न प्रकार के मेले और जागरताएँ आयोजित की जाती हैं, और लोग इस मौके पर भगवान शिव की भक्ति करते हैं। सावन के महीने में झूला और कई धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन भी होते हैं।
सावन का महीना वर्ष के महत्वपूर्ण मासों में से एक माना जाता है और यह हिन्दू परंपरा में गहरा मान्यता और आध्यात्मिक अर्थ रखता है।
सावन की महत्वपूर्ण जानकारी
नाम | सावन | Sawan |
सावन का अंग्रेजी नाम | मानसून |
सावन का रंग | हरा |
सावन में किसकी पूजा होती है | भगवान शिव जी की |
सावन के महीने में कितने त्योहार होते हैं | हरियाली अमावस्या, हरियाली तीज, नागपंचमी, पुत्रदा एकादशी, सावन सोमवार, मंगला गौरी व्रत |
सावन में कितने व्रत रखने हैं | पांच सोमवार का व्रत |
सावन किसका प्रतीक है | आशा और जीवन का प्रतीक |
सावन का महीना क्यों मनाते हैं | भगवान शिव और पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए |
सावन का महीना कितने दिन तक रहता है | सावन का महीना 30 दिनों का होता है |
सावन में क्या क्या नहीं खाते | हरी पत्तेदार सब्जियां, बैंगन, मूली कटहल, मांस मछली, दूध, दही का खाना वर्जित बताया गया है |
सावन में कौन से त्योहार आते हैं ( Which Festivals Come In Sawan )
सावन का महीना हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण महीना है, और यह भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहारों का आगमन कराता है। सावन में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं, जो हिन्दू संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यहां हम जानेंगे कि सावन में कौन से त्योहार आते हैं और उनका महत्व क्या होता है।
Shravan Monday | श्रावण सोमवार
सावन के महीने में हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा की जाती है। भक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और व्रत रखते हैं। यह व्रत भगवान शिव की कृपा पाने का अच्छा मौका होता है।
Raksha Bandhan | रक्षाबंधन
सावन मास में रक्षाबंधन भी मनाया जाता है। इस त्योहार में बहने अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और भाइयों ने उन्हें उपहार देते हैं। यह बंधन भाइयों और बहनों के प्यार का प्रतीक होता है।
Nag Panchami | नाग पंचमी
सावन में नाग पंचमी का त्योहार भी मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता, जैसे कि साँप, की पूजा की जाती है और उन्हें दूध और धूप दिया जाता है।
Krishna Janmashtami | कृष्ण जन्माष्टमी
सावन में भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन पर्व के रूप में “कृष्ण जन्माष्टमी” नाम से मनाई जाती है। इस दिन मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण की मूर्तियों को प्रेम पूर्वक बोहोत की मोहक और शानदार तरीके से सजाई जाती हैं और कृष्ण जी की जन्म कथा पढ़ी जाती है।
Hariyali Teej | हरियाली तीज
सावन के महीने में हरियाली तीज भी मनाई जाती है, खासकर उत्तर भारत में। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं। असल में तीज दो प्रकार की होती है, हरियाली तीज सावन के महीने में मनाई जाती है और हरतालिका तीज सावन के बाद भादो के महीने में मनाई जाती है।
इन त्योहारों के साथ, सावन का महीना भारत में आराध्य और धार्मिक अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण समय होता है। यह त्योहार और आराधना लोगों को एक साथ आने और भगवान की भक्ति में लग जाने का अच्छा मौका प्रदान करते हैं।
आप सावन के महीने में इन त्योहारों को कैसे मानते हैं? कमैंट्स में हमें भी बताइये ।
सावन में झूला झूलने के कारण ( Reason For Swinging In Monsoon )
Reasons For Swinging In Monsoon | सावन में झूला झूलने के मुख्य कारण
धरती हमारी माँ है, जो भी कुछ हमको मिलता है धरती माँ से उसके लिए हम धरती माँ के जीवन भर आभारी हैं। सावन में वर्षा की बूंदे जब धरती को जल से सराबोर कर देती है, तब धरती माँ खुश हो जाती है और प्रकृति का यौवन खिल जाता है, जिससे चारों ओर हरियाली ही हरियाली आ जाती है। जिसको देख कर हमारा मन तन-मन भी खुशियों से भर जाता है, क्यूंकि जिसको देख कर हमें ख़ुशी होती है उसे खुश देख कर हमें और ख़ुशी होती है और मन झूमने लगता है। इसीलिए झूला झूल कर बच्चे तो बच्चे बड़े भी सावन में आनंद लेते हैं।
Spitual Reasons For Sawan | सावन में झूला झूलने के आध्यात्मिक कारण
झूला झूलना सावन में बहुत ही शुभ माना गया है। झूले को सावन का एक अभिन्न अंग माना गया है। सावन में प्रकृति का परमात्मा से मिलन होता है, और बड़ा ही आध्यात्मिक कारण है, कि हम इसे भगवान कृष्ण और भगवान शिव जी से जोड़ कर इसका अनुसरण करते हैं, सावन में ही प्रभु श्री कृष्ण ने माता राधा रानी को झूला झुलाया था। इसी वजह से आज भी लोग झूला झूलते समय लोकगीत गाते हैं और अपनी मनोकामना को प्रभु श्री कृष्ण तक भेजते हैं। ठीक इसी तरह भगवान शिव जी द्वारा माता पार्वती जी को झूला झुलाने का उल्लेख पुराणों मिलता है और माता सीता को भगवान श्री राम द्वारा झूला झुलाने का उल्लेख लोक गीतों में पाया जाता है। इस ख़ुशी को शब्दों में नहीं बंधा जा सकता। आदिकाल से ही हर भगवान को बाल रूप में झूला झुलाने का वर्णन गीतों, पुराणों आदि में किया गया है, जैसे श्री राम जी, लक्ष्मण जी, कृष्ण जी, बलराम जी और गणेश जी।
Shiva Puja In Sawan | सावन में शिव पूजा
वैसे तो सब लोग पूजा अपने-अपने हिसाब से करते हैं और भगवान को दिल से मानते हैं। परन्तु हिन्दू-धर्म में पूजा करने का एक तरीका होता है। चलिए दोस्तों आज हम आप लोगो को शिव जी की पूजा कैसे करनी हैं, उसके बारें में बताते हैं।
सबसे पहले हम सुबह स्नान करते हैं। फिर एक थाली लेते हैं जिसमें तांबे के लोटे में शुद्ध और साफ गाय का दूध लेते हैं। साथ में ही कुछ स्वच्छय और ताज़े फूल लेते हैं और एक लोटे में स्वच्छय जल लेते हैं। ये बात का जरूर ध्यान रखे कि आपके थाली में बेल पत्ति, धतूरा,फल, मेवा आदि सामग्री होनी ही चाहिए। अब सबसे पहले आप शिवलिंग पर जल अर्पित करेंगे फिर आप दूध, फूल, बेलपत्री, धतूरे,फल व मेवे को अर्पित करेंगे। इसके बाद आप सफ़ेद तिलक शिवलिंग पर लगेंगे। जब आप ये प्रक्रिया कर रहे हो तो साथ में भगवान शिव जी के मंत्रो का पाठ जरूर करे।
जब आप पूजा कर लेते हैं तो आपको भगवान का नाम लेकर अपने दिल से खुश होकर कुछ पैसे भी दानपात्र में दान करने चाहिए। जिससे आगे चल कर किसी की सहायता की जा सके। भगवान शिव जी की पूजा करने के बाद मन को बहुत सुकून मिलता है। भगवान शिव की पूजा करने के बाद अच्छे वर की प्राप्ति होती है। इसलिए हर साल शिवरात्रि को लोग व्रत भी रखते हैं,क्योकि पुराणों के अनुसार- इसी दिन भगवान शिव का, माता पार्वती जी के साथ विवाह हुआ था।
Important Of Rain In Sawan | सावन में बारिश का महत्व
बारिश बहुत ही अच्छा माना जाता हैं अगर वो सावन के महीने में हो, धार्मिक दृष्टिकोण से हिन्दू परिवार में हर सोमवार भगवान शिव भगवान के लिए व्रत, शिव चालीसा का पाठ और आरती की परंपरा है, जिससे मन को सुकून और परिवार में शांति बनी रहती है। बारिश की वो हल्की छींटे खिड़की से जब अंदर आती हैं, वो एहसास और दृश्य बेहद मन-मोहक और अविस्मरणीय है, इसलिए बारिश को लोग ज्यादा पसंद करते हैं। बारिश में नहाने के बाद मन हल्का हो जाता है। बारिश में प्याज के पकोड़े और चाय सबके पसंदीदा है। बारिश के समय में सबसे ज्यादा ख़ुशी बच्चों को होती है और जहाँ छतों, सड़कों या पार्कों में पानी का भर जाता है तो बच्चे खूब भीगते-खेलते हैं, और कुछ बच्चे तो पानी का जहाज बना कर तैराते हैं।
Benefits In Sawan | सावन में लाभ
- सबसे ज्यादा लाभ किसानों को होता है, क्योंकि इन दिनों में धान की फसल के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है, जिससे फसल अच्छी पैदा होती है।
- मौसम सुहाना होता है, जिससे बच्चे ख़ुशी से खेलते है और पानी का जहाज बनाते हैं।
- जलीय जीव-जंतु भी अपना जीवन-यापन अच्छे से करते हैं।
- किसान अपने धान के फसल के साथ-साथ बरसात के दिनों में उगने वाली सब्जियों को भी उगाते हैं।
- धूल उड़ना बंद हो जाता हैं, कुछ सयय के लिए वायुमंडल साफ हो जाता हैं और रोड पर वाहनों के चलने से भी धूल कम उड़ती हैं।
- सावन की बारिश में जब बच्चे इंद्रधनुष को आकाश में देखते हैं, तो ख़ुशी से झूम उठते हैं।
- बारिश का पानी बाँध वाली नदियों में ज्यादा इकट्ठा हो जाता है, जिससे हम बिजली का ज्यादा उत्पादन और ज्यादा दिनों तक उत्पादन कर सकते हैं, और अपने देश की आर्थिक सहायता कर सकते हैं।
Loss In Monsoon | सावन में हानि
- सावन जैसे पावन बेला में चारों तरफ जहाँ धार्मिक और भक्ति का माहौल हो उस समय शराब-मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। क्यूंकि जिन ईष्ट देव को पूजा करके हम खुश करते हैं और उन्ही के आशीर्वाद से हमारा घर धन धान्य से पूर्ण होता है और सभी लोग स्वस्थ रहते हैं। अगर कहीं वो रुष्ट हो गए तो घर-परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ेगा और पईष्ट देव की दया घर परिवार से ख़तम हो जाएगी।
- बाढ़ आने का खतरा बना रहता है।
- बारिश की वजह से रोड पर पानी भर जाने से आने – जाने में समस्या होती है।
- ज्यादा बारिश होने से जिनके पास अच्छे मकान या मकान ही नहीं होते हैं तो उनको बहुत ही समस्या होती है।
- पानी का भराव हो जाता है, जिससे मच्छर और भी कीड़े – मकोड़े पनपने लगते हैं और डेंगू जैसी अनेक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- ज्यादा देर तक भीगने से तबियत खराब हो जाती है, जैसे – बुखार आना , सर्दी -जुकाम होना , सर दर्द होना आदि।
- बाढ़ आने से कभी – कभी किसानों के फसल पानी में डूब कर ख़राब हो जाते है , जिससे उनकी मेहनत ख़राब हो जाती है और बाद में उनके बहुत ही तकलीफ होती है।
- नदियों और खेतों में मिटटी का कटाव होता है, जिससे एक जगह से मिटटी दूसरी जगह पे चली जाती है इससे जो किसान अपने खेत में खाद डालें रहते है उनका नुक्सान हो जाता है।
- पहाड़ी छेत्रों में भूस्खलन होने का खतरा बना रहता है।
Conclusion | निष्कर्ष
हम लोग उस समय के लोग हैं, जब गाँव में या शहर के उन छेत्रों में झूला पड़ता था जहाँ बड़े-बड़े पेड़ होते थे और बच्चे-बड़े सभी उस झूले में झूलते थे।आपको भी सावन में झूला ज़रूर झूलना चाहिए या फिर घर में माता, युवती या बच्चों को भी जरूर झूलना चाहिए। अगर आप शहर में रहते हैं और आपके घर में झूला नहीं हैं तो आपको एक झूला का इंतज़ाम ज़रूर करना चाहिए। अपने बालकनी में एक छोटा सा झूला ज़रूर लगवायें जिसमे कभी भी आप या आपके परिवार का कोई भी सदस्य बैठ कर सावन में प्रकृति के वरदान का आनंद ले पाएं।