हमारे सौरमंडल में कुल नौ (9) ग्रह हैं, जो सूर्य का चक्कर लगाते हैं। चन्द्रमा एक उपग्रह है जो पृथ्वी का चक्कर लगाता है। चन्द्रमा और पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति आपस में एक-दूसरे पर असर डालते हैं, जिससे हमारे पृथ्वी पर समुद्र में ज्वार और भाटा आते रहते हैं। चन्द्रमा के पास अपना खुद का प्रकाश नहीं होता है ये सूर्य की रोशनी से चमकता है, इसीलिए चन्द्रमा को अदीप्त कहा गया है। चन्द्रमा पृथ्वी का एक चौथाई जितना बड़ा है और चन्द्रमा अपने में बहुत से रहस्य बटोरे हुए है जिसको जानने के लिए इसलिए विश्व में सभी वैज्ञानिक संस्थाएं कई दशक से कोशिश में लगी हुई है और लगातार उस पर दूर से या कृत्रिम उपग्रह भेज कर कई तरह के परिक्षण कर रही है। जिसमें चंद्रयान-3 नाम से उपग्रह भेजा गया है। जब हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था तब किसी ने ये नहीं सोचा था कि भारत दुनिया का चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन जायेगा। उस समय भी ऐसे एक व्यक्ति थे जिन्हें हम राष्ट्रपिता कहते हैं, गाँधी जी को अपने लग्न और निष्ठा पर पूरा यकीन था कि भारत फिर से पहले जैसा आज़ाद होगा और सब लोग सुखी से अपना जीवन व्यतीत करेंगे।
चंद्रयान-3 :भारत के अनोखे शोध मिशन के बारे में जानें (Chandrayaan-3: Know about India’s unique research mission)
चंद्रयान एक प्रकार का चन्द्रमा के अध्ययन और अनुशासन मिशन था, जो भारत के अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) द्वारा शुरू किया गया था। इसका उद्धेश्य चन्द्रमा पर जाकर उसका अध्ययन करना था। इस मिशन का भारत के अंतरिक्ष अध्ययन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। हमारा भारत वह भारत है जिसने हिम्मत और धैर्य को कभी नहीं छोड़ा। भारत ने साइकिल से लेकर रॉकेट तक का सफर सफलतापूर्वक तय करके पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया। भारत के कारनामे को देख कर दुनिया दंग रह गयी। प्राचीन समय से ही भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी रूचि, लगन और निष्ठा को बनाये रखा है और आज साइकिल से चलने वाला हमारा भारत चाँद की सतह पर भी पहुंच गया। भारत चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना गया।
चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य (Objective of Chandrayaan-3 mission)
चंद्रयान मिशन का मुख्य उद्धेश्य चन्द्रमा की सतह पर जाकर चन्द्रमा के दर्शन, अध्ययन और अनुसन्धान की खोज करना था। जिसके लिए भारत ने अपने अलग-अलग समय पर मिशन भेजता रहा। आइये अलग-अलग मिशन के बारे में बात करते हैं।
चंद्रयान-1 (Chandrayaan-1)
चंद्रयान-1, भारत के द्वारा भेजा गया सबसे पहला सैटेलाइट चंद्र मिशन था। 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 मिशन को PSLV XL -C11 रॉकेट के द्वारा लांच किया गया था। चंद्रयान-1 मिशन को सतीशधवन श्रीहरिकोटा से लांच किया गया था। चंद्रयान-1 के लांचिंग के समय इसरो के अध्यक्ष जी माधवन नायर थे। इस मिशन ने चन्द्रमा के सतह पर हाइड्राक्सिल (OH) और पानी की खोज की थी। इससे भारत चन्द्रमा पर पानी की खोज करने वाला पहला देश बन गया था। इसमें केवल एक चंद्र कक्ष मिशन था और कोई लैण्डर या रोवर शामिल नहीं था। चंद्रयान-1 का प्रमोचर भार 1380 kg था।
चंद्रयान-2(Chandrayaan-2)
चंद्रयान-2 भारत द्वारा भेजा गया दूसरा चंद्र मिशन था। 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 मिशन को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र,श्रीहरिकोटा से GSLV-MK ।।।-M1 राकेट के द्वारा लांच किया गया था। इस समय इसरो के अध्यक्ष K.सिवान जी थे। इसे बाहु बली (फैट बॉय) के नाम से भी जाना जाता था। इसमें आर्बिटर,रोवर और लैंडर भी शामिल थे। चंद्रयान-2 अभियान के ऑर्बिटर का वजन 2379 kg था। चंद्रयान 2 द्वारा हमे पहली बार चन्द्रमा पर बहुतायत मात्रा में सोडियम होने का पता चला था।
चंद्रयान-3(Chandrayaan-3)
चंद्रयान-3 भारत का तीसरा चन्द्रमा मिशन है और यह चंद्रयान 2 का ही अनुवर्ती है, जिसका उद्धेश्य चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर को भेजना और चन्द्रमा की संरचना को बेहतर ढंग से समझना था। चंद्रयान-3 को LVM3 -M4 रॉकेट से लांच किया गया है।
चंद्रयान-3 की तैयारी: पिछले मिशनों से सीखें (Chandrayaan-3 preparations: Learn from previous missions)
मिशन अवलोकन (Mission Overview) :
चंद्रयान-3 एक चंद्र लैंडिंग मिशन है, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर एक रोवर भेजना है।
चंद्रयान-2 से प्रेरणा (Inspiration from Chandrayaan-2) :
चंद्रयान-3 की तैयारी में चंद्रयान-2 के हादसों से कुछ सीख लिया गया है। इसे सुरक्षा और सफलता की संभावनाएँ बढ़ाई जा रही हैं।
लैंडिंग साइट चयन (landing site selection) :
साइट का चयन चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्तवपूर्ण होना चाहिए। इसमे भूवैज्ञानिक और वैज्ञानिक कारकों का भी विचार किया जाता है।
तकनीकी सुधार (technical improvement) :
हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में सुधार किये जा रहे हैं ताकि लैंडिंग सफल हो सके। ये मिशन ऑटोनॉमस होगा।
सहयोग (Collaboration) :
इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) दूसरे देशो के साथ सहयोग कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद भी ली जा रही है।
प्रक्षेपण यान (launch vehicle) :
चंद्रयान-3 को भारत के प्रमुख प्रक्षेपण यान से प्रक्षेपित किया जाएगा।
विज्ञान लक्ष्य (science goals) :
मिशन के मुख्य अध्ययन और अनुसंधान के उद्देश्य भी तय किये गये हैं, जैसे चंद्रमा के भूविज्ञान और संसाधनों का अध्ययन।
इसी तरह से चंद्रयान-3 के लिए तैयारी जारी है, और इसरो का लक्ष्य है कि ये मिशन सफ़लता से संपन्न हो।
चंद्रयान-3 मिशन के प्रमुख यात्री: लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर (Key passengers of Chandrayaan-3 mission: Lander, Rover and Orbiter)
लैंडर (Lander): लैंडर, चंद्रयान-3 मिशन का प्रमुख यंत्र है, जो चंद्रमा के सतह पर उतरने के लिए डिजाइन किया गया था। इसका उद्देश्य चंद्रमा के पृथ्वी से संपर्क स्थापित करना और चंद्रमा के सतह पर रोवर को सफलता पूर्वक उतरने में मदद करता है।
रोवर (rover) : रोवर को लैंडर से चंद्रमा के सतह पर उतारा गया था। इसका उद्देश्य चन्द्रमा के सतह पर अध्ययन और चिकित्सा करना, चन्द्रमा के उपभोग तत्वों (खनिज) की जानकारी इकठ्ठा करना, सतह पर पद्चिन्ह छोड़ना और वैज्ञानिक उपचार से परीक्षा करना होगा।
ऑर्बिटर (orbiter): चंद्रयान-3 मिशन का ऑर्बिटर, चंद्रमा के चरणों या ऑर्बिट पर घूमने वाला यंत्र होगा। इसका उद्देश्य चंद्रमा के सतह से संपर्क स्थापित करना, लैंडर और रोवर के उपकरणों से डेटा प्राप्त करना, और चंद्रमा के सतह से संपर्क स्थापित करना होगा।
चंद्रयान-3 मिशन के वैज्ञानिक उपकरण और उनकी उपयोगिता (Scientific instruments of Chandrayaan-3 mission and their utility)
चंद्रयान-3 मिशन के प्रमुख उपकरण की अपनी-अपनी भूमिका थी। जिसके बारे में हम आपको जानकारी देते हैं।
लैंडर (Lander): लैंडर, चंद्रयान-3 मिशन का प्रमुख यंत्र होगा जो चंद्रमा के सतह पर उतरने के लिए डिजाइन किया जाएगा। इसका उद्देश्य चंद्रमा के पृथ्वी से संपर्क स्थापित करना और चंद्रमा के सतह पर रोवर को सफल पूर्व उतरने में मदद करना होगा।
रोवर (rover) : रोवर को लैंडर से चंद्रमा के सतह पर उतर जाएगा। इसका उदेश्य चन्द्रमा के सतह पर अध्ययन और चिकित्सा करना, चन्द्रमा के उपभोग तत्वों (खनिज) की जानकारी इकठ्ठा करना, सतह पर पद्चिन्ह छोड़ना और वैज्ञानिक उपचार से परीक्षा करना होगा।
पेलोड (payload) : चंद्रयान-3 मिशन में अलग-अलग प्रकार के पेलोड का उपयोग हुआ है, जैसे कि कैमरा, स्पेक्ट्रल उपकरण और प्रतिरोध उपकरण आदि। इनसे चाँद के भूमि की विभिन्न गुणों का अध्ययन किया जाता है।
एंटेना (antennas) : एंटेना अपग्रेड और धरती के अंतरराष्ट्रीय संपर्क के लिए उपयोगी होते हैं। इससे डाटा का आदान-प्रदान किया जाता है। जिससे वैज्ञानिक अध्ययन के लिए उपयोगी होता है।
संचार प्रणालियाँ (communication systems) : चंद्रयान-3 मिशन में वर्तमान स्थिति और प्रगति से सम्पर्क स्थापित करने के लिए विशेष प्रकार की संचार प्रणाली का उपयोग होता है।
चंद्रयान-3: चांद पर पहुंचने की योजना और रणनीति (Chandrayaan-3: Plan and strategy to reach the moon)
चाँद पर पहुंचने की योजना और नीतियों का विकास अब तक कई देशों के वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा किया जा चूका है। जिसमे से भारत अपने चंद्रयान-3 मिशन के द्वारा दुनिया में अपना नाम और इसरो का नाम रोशन कर दिखाया है। अंतरिक्ष की तैयारी करना(prepare for space) – चाँद पर पहुंचने की योजना का प्रथम कदम होता है कि अंतरिक्ष की तैयारी करना। इसमें अंतरिक्षयान, रोवर्स और उपकरणों का विकास होता है।
सैटेलाइट को चाँद की कक्षा में भेजना (sending a satellite into lunar orbit)- इसके लिए हम किसी अच्छे राकेट का प्रयोग करके सैटेलाइट को पृथ्वी से भेजते हैं। सैटेलाइट पहले कुछ दिन पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगता है और फिर धीरे-धीरे उसे चन्द्रमा की कक्षा में भेजा जाता है।
लैंडिंग के लिए उपयुक्त जगह का चुनाव (Choosing a suitable place for landing)- चाँद पर अपने अंतरिक्षयान को उतराने से पहले एक सुरक्षित जगह का चुनाव किया जाता है। जिससे हमारा अंतरिक्षयान सुरक्षित सॉफ्ट लैंडिंग कर सके।
लैंडर और रोवर (Landers and Rovers)- सुरक्षित स्थान चुनने के बाद हम अपने अंतरिक्षयान को लैंडर की मदद से उतारते हैं और फिर रोवर को सिगनल मिलते ही वह भी लैंडर से निकल कर चाँद की सतह पर घूमने लगता है।
डाटा संरक्षण करना (data protection) – चाँद पर पहुंच कर उपकरण डाटा संग्रह करते हैं और पृथ्वी तक भेजते हैं। फिर उस डाटा का वैज्ञानिकों द्वारा विश्लेषण किया जाता हैं।
अंतरिक्ष यात्रा की सफलता (space travel success) – हमारी अंतरिक्ष यात्रा सफल मानी जाती हैं जब रोवर, लैंडर सही से अपना-अपना काम करने लगते हैं।
चंद्रयान-3 से उम्मीदें: चांद पर पानी और हिलियम-3 की खोज (Expectations from Chandrayaan-3: Discovery of water and helium-3 on the moon)
चाँद पर पानी की खोज (discovery of water on the moon)
हमारे भारत देश द्वारा भेजे गए चंद्रयान-1 और चंद्रयान -2 ने चाँद पर पानी की कर लिए थे। इससे हमारे वैज्ञानिकों द्वारा भविष्य में चाँद पर मानव बस्ती बसाने की योजना बना रहे हैं। इससे ये पता चलता है कि अगर चाँद पर पानी है तो आक्सीजन भी जरूर होगा क्योकि जल (H2O ), हाइड्रोजन (H ) और आक्सीजन से मिलकर बना होता है। इसलिए हम पानी से आक्सीजन बना सकते हैं।
चाँद पर हीलियम की खोज (discovery of helium on the moon)
हीलियम-3 चंद्रमा पर पाया जाता है, और यह एक मूल ऊर्जा स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण है। यह उर्जा स्रोत सौर विद्युत उत्पादन के लिए उपयुक्त है और विशेष रूप से नियुक्तियों के लिए उपयोग हो सकता है। चंद्रयान और अन्य अंतरिक्ष मिशन ने हीलियम-3 की खोज करने के लिए नए द्वार खोले हैं, जिससे भविष्य में कार्यक्रमों को साक्षर ऊर्जा की आपूर्ति करने में मदद मिल सकती है।
चंद्रयान-3 मिशन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की योगदान (Indian Space Research Organization’s contribution to Chandrayaan-3 mission)
चंद्रयान-3 मिशन को सफल बनाने में हमारे भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) का और उनकी पूरी टीम का अहम् योगदान रहा है। इनके द्वारा लगन और निष्ठा से किये गए कामों की वजह से आज हम चाँद की दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले दुनिया के सबसे पहले देश बन गए हैं। चंद्रयान-3 मिशन में हमारे इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ जी का अहम् योगदान रहा है। इनकी निगरानी में रह कर सभी वैज्ञानिक अच्छे से अपना-अपना काम दिन-रात एक करके पूरा किये। जिससे हम आज दुनिया में एक कदम और आगे की ओर बढ़े हैं। हम इनके योगदान और कड़ी मेहनत को कभी नहीं भूल पाएंगे क्योकि इतना कम पैसों में अपने चंद्रयान मिशन को सफलता पूर्वक चाँद पर सॉफ्ट और सुरक्षित लैंड करा दिए, जबकि वही रूस ने भी अपना लूना -25 मिशन को हमसे कई गुना ज्यादा पैसों में बना कर लॉच किया था, फिर भी पहुंचने में असमर्थ रहा।
चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 के बीच अंतर: क्या है नया? (Difference between Chandrayaan-2 and Chandrayaan-3: What’s new?)
चंद्रयान-2
| चंद्रयान-3
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चंद्रयान-2 में विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर और आर्बिटर भी शामिल था। | चंद्रयान-3 में विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर था। इसमें आर्बिटर नहीं शामिल था क्योकि चंद्रयान-२ का ऑर्बिटर सही तरीके से काम कर रहा था और डाटा का आदान-प्रदान कर रहा था। |
चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को 14:43 बजे लांच किया गया था। | चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को 14:35 बजे लांच किया गया था। |
चंद्रयान-2 की क्रैश लैंडिंग हुयी थी | चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग हुयी थी |
चंद्रयान-3: भारत की गर्वग्रंथि का महत्वपूर्ण कदम (Chandrayaan-3: An important step for India’s pride)
भारत ने चंद्रयान-3 की मदद से एक और कदम आगे की ओर बढ़ गया है। यह हमारे पुरे इसरो टीम और भारत के लिए बहुत ही गौरवपूर्ण
सौभाग्य रहा है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को आँध्रप्रदेश श्रीहरिकोटा से लांच किया गया था। इसमें प्रपोर्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल एक साथ 34 दिनों की यात्रा की, उसके बाद दोनों 17 अगस्त 2023 अलग-अलग अपनी यात्रा शुरू कर दी। 23 अगस्त 2023 शाम के समय इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ जी ने लैंडर द्वारा चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की घोषणा कर और लैंडिंग के समय हमारे दूर दर्शन पर लाइव दिखाया गया। जिसको देखने के बाद अति ख़ुशी और गर्वान्वित महसूस किये और देर सारी खुशियाँ मनाये। देश-विदेश ने भी चंद्रयान-3 की बधाई दी।