दशहरा हमारे हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार नवरात्रि के अगले ही दिन भारत के विभिन्न प्रांतों में अनेक तरीकों से मनाया जाता है। दशहरे त्यौहार को पूरे भारत के लोग बड़े ही हर्षों-उल्लास के साथ मनाते हैं। यह त्यौहार हम बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाते हैं, क्योकि इसी दिन भगवान श्री राम जी ने लंका के पति परमेश्वर रावण का वध करके अपने पत्नी माता सीता को उससे मुक्त कराये थे और सभी देवी-देवता प्रसन्न और खुश होकर श्री राम जी के ऊपर फूल बरसाने लगे और एक-दूसरे से खुशियां बाँटने लगे। इस हर साल इस श्रेठ पर्व को लोग रावण के पुतले बनाकर जलाते हैं, जो कि अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है। दशहरे को लोग विजयादशमी के नाम से भी जानते हैं।
त्यौहार का नाम | दशहरा |
दशहरे के प्रकार | दो |
कब आता है | चैत्र मास, आश्विनी मास |
किसकी पूजा | श्री राम जी, माँ दुर्गा |
क्यों मनाया जाता है | श्री राम जी द्वारा रावण का वध हुआ |
दहन | रावण |
दहन का समय | 10 PM |
रावण का वध | नाभि की अमृत को तीर द्वारा सुखाया |
दशहरे के पहले | नवरात्रि |
दशहरे के बाद | दीपावली |
दशहरे में होता है | रावण दहन और मेला |
दशहरा त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?( Why is Dussehra festival celebrated? )
दशहरे का त्यौहार मुख्य रूप से भगवान श्री राम और रावण से जुड़ा हुआ है, क्योकि इसमें रावण ने श्री राम जी की पत्नी सीता माता को छल से अपहरण कर लिया था। जिसकी वजह से भगवान राम ने रावण से युद्ध किये और रावण का वध करके अपनी पत्नी सीता माता को उससे मुक्त कराये।
दशहरे त्यौहार को हमारे भारत देश में अत्यंत धूम-धाम से मनाया जाता है। इसे जश्न का त्यौहार भी कहते हैं। दोस्तों दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। बुराई किसी भी प्रकार की हो सकती है, जैसे- क्रोध, घमंड, वैर, लोभ, ईर्ष्या, दुःख, आलस्य आदि। किसी भी आतंरिक बुराई को खत्म करना भी एक आत्म विजय है और हमें प्रतिवर्ष अपने में से इस तरह के बुराई को खत्म कर दशहरे के दिन इसका जश्न मनाना चाहिए। जिससे हम अपने सभी इन्द्रियों को अपने वश में कर सकें।
दशहरे का शुभ मुहूर्त ( Auspicious time of Dussehra )
हर साल दशहरे त्यौहार को आश्विनी मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह नवरात्रि त्यौहार के अगले ही दिन मनाया जाता है। चलिए दोस्तों जानते हैं कि इस साल 2023 में दशहरा किस तिथि को मनाया जायेगा।
दशहरा के तिथि और समय ( Dussehra date and time )
पंचाग के अनुसार, इस वर्ष 2023 में दशहरा आश्विनी मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 24 अक्टूबर, मंगलवार के दिन है। इस साल दशहरे का प्रारम्भ 23 अक्टूबर को शाम 5:44 PM से शुरू होकर 24 अक्टूबर को शाम 3:14 PM तक रहेगा। परन्तु दशहरा त्यौहार को 23 अक्टूबर को न मनाकर 24 अक्टूबर को मनाया जायेगा
वर्ष | दशहरा शुरू होने की तिथि व समय | दशहरा समापन होने की तिथि व समय |
2018 | 18 अक्टूबर, 03:28 PM | 19 अक्टूबर, 05:57 PM |
2019 | 7 अक्टूबर, 12:58 PM | 8 अक्टूबर, 02:50 PM |
2020 | 25 अक्टूबर 07:41 AM | 26 अक्टूबर, 08:59 AM |
2021 | 14 अक्टूबर, 06:52 PM | 15 अक्टूबर, 06:02 PM |
2022 | 4 अक्टूबर, 2:20 PM | 5 अक्टूबर, 12:00 PM |
2023 | 23 अक्टूबर, 05:44 PM | 24 अक्टूबर, 03:14 PM |
2024 | 12 अक्टूबर, 10:58 AM | 13 अक्टूबर, 09:08 AM |
2025 | 4 अक्टूबर, 02:20 PM | 5 अक्टूबर, 12:00 PM |
2026 | 20 अक्टूबर, 12:50 PM | 21 अक्टूबर, 02:11 PM |
2027 | 9 अक्टूबर, 10:17 AM | 10 अक्टूबर, 01:25 PM |
2028 | 27 सितम्बर, 08:08 AM | 28 सितम्बर, 09:55 AM |
दशहरा से जुड़ा त्यौहार ( festival related to Dussehra )
नवरात्रि ( Navratri )
नवरात्रि त्यौहार को दशहरे से मनाया जाता है। इसमें देवी दुर्गा माँ की पूजा की जाती है, क्योकि माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध करके देवताओं को उस राक्षस से मुक्त करायी थीं।
दीपावली ( Diwali )
यह त्यौहार दशहरा के 20 दिन बाद मनाया जाता है। जब भगवान श्री राम जी ने रावण का वध करके अपने पत्नी सीता माता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आये थे तो अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जगा उनका स्वागत किये थे। तभी से हर साल दीपावली त्यौहार को मनाया जाता है।
दशहरा के पौराणिक कथा ( mythology of dussehra )
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने रावण को हरा कर उसका वध कर दिए थे। उसके बाद अपने पत्नी को रावण से मुक्त कराए थे। जिनसे प्रसन्न होकर सभी लोग हर साल इसी दिन को दशहरे के रूप में मनाते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में जाना जाता है।
राम और रावण का परिचय ( Introduction of Ram and Ravana )
राम ( Ram )
भगवान राम जी अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। इनके माता जी का नाम कौशल्या था। ये हमेशा अपने पिता की बातों को मनाते थे। राम जी को मिला कर इनके कुल चार भाई थे- राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघन। चारों भाई जब मुनि विश्वामित्र के पास से शिक्षा प्राप्त करके आयोध्या वापस आये थे, तभी माता कैकेई ने राजा दशरथ से अपने दो वरदान मांग लिये। जिसमें पहले में भरत को अयोध्या को राजा बनाया जाये और दूसरे में राम जी को 14 वर्ष के लिये वनवास। तब राम जी ने अपने पिता की बातों को मानकर अपने छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता माता के साथ वन के लिये निकल पड़े।
रावण ( Ravana )
सोने की लंका के राजा रावण थे। रावण भगवान शिव जी के सबसे बड़े भक्त थे, जिन्होंने अपने तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न करके उनसे दिव्य शक्तियां हासिल कर लिया था और ऋषियों, मुनियों पर अत्याचार करता था। रावण के दस सिर थे इसलिए रावण को दशानन के नाम से भी जाना जाता था ।
बुराई पर अच्छी की जीत ( victory of good over evil )
दशहरा त्यौहर पूरे देश भर में मनाया जाता है। दशहरा या विजयादशमी का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है, क्योकि इस खास दिन भगवान राम ने रावण का वध करके पूरी धरती को पाप मुक्त किये थे। कहा जाता है कि त्रयेता युग में रावण ने राम जी की पत्नी माता सीता का हरण किया था और लंका की अशोक वाटिका में उन्हें कैद करके रखा था। इसके बाद श्री राम ने लंका में अश्विनी मास के शुक्ल पक्ष के दसवीं तिथि पर रावण का वध करके सीता को आज़ादी दिलाई थी। जिसके बाद से रावण को बुराईयों का प्रतीक माना जाने लगा, क्योकि इसी की बुराइयों की वजह से इसके वंश का नाश हो गया। रावण के अंदर इतना घमंड था कि वह सभी देवी-देवताओं से खुद को श्रेठ समझता था। इसलिए भगवान राम जी ने रावण का वध करके बुराई को समाप्त कर दिए। जिसके बाद से लोग दशहरे को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाते हैं।
श्री राम की अयोध्या वापसी ( Shri Ram’s return to Ayodhya )
जब भगवान श्री राम जी रावण का वध करके सत्य धर्म की विजय प्राप्त करके तथा 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अपने शहर आयोध्या वापस गए थे। तब सभी अयोध्या वासियों ने बड़े ही धूम-धाम के साथ ख़ुशी मनाई और उनका हर्ष-उल्लास के साथ स्वागत किये, फिर राम जी का राज्याभिषेक हुआ और उन्हें अयोध्या का राजा बनाया गया।
दशहरा महोत्सव भगवान श्री राम की महानता ( Dussehra Festival Greatness of Lord Shri Ram )
भगवान राम जी बचपन से ही असहनीय कठिनाईयों के सामने दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति थे। वे सदैव सत्य और धर्म के अनुयायी थे। भगवान राम के तीन विशेष गुण हैं- आज्ञाकारी, वफादार और जिम्मेदार व्यक्ति थे। भगवान राम जी अति सुशील और सज्जन व्यक्ति थे। राम जी इतने सरल स्वभाव के थे कि उन्हें किसी भी परिस्थित में रहना पड़े तो वे रह लेते थे। वे हमेशा साधारण और सदाचारी जीवन व्यतीत करते थे। राम जी सूर्य वंश के राजकुमार थे।
सत्य और न्याय की जीत का उत्सव ( Celebration of victory of truth and justice )
भगवान राम जी हमेशा सत्य और न्याय के मार्ग पर चलते थे। उन्होंने पराक्रम और नेकी का कार्य करते थे। रावण बहुत ही आत्याचारी था जो देवी-देवताओं को बहुत परेशान करते थे। भगवान राम ने रावण को मार कर सत्य और न्याय की विजय की। जिसको यादगार बनाने के लिए हर साल लोग इस त्यौहार को मनाते हैं।
धर्मिकता का प्रतीक ( symbol of righteousness )
हम अपने हिन्दू धर्म को बनाये रखने के लिए हर साल रामलीला का आयोजन करते हैं। जिसमे हम राम जी के जीवन के बारें अनेक कार्यों को दर्शया जाता है और बच्चे को अपने धर्म के बारे में जानकारी मिलती है।
दशहरे का भोजन और व्यंजन ( Dussehra food and dishes )
दशहरे में क्या-क्या खाना चाहिए ( What to eat during Dussehra )
- आलू की सब्जी: एक सादी आलू की सब्जी तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में दशहरे के दिन बनाई जाती है। इसमें आलू के टुकड़े, मसाले, और तड़के के साथ पकाए जाते हैं।
- गुलाब जामुन: दशहरे पर गुलाब जामुन एक पसंदीदा मिठाई होती है। यह छाशनी में भिगा दिए गए मिठे गोले होते हैं, जो बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं।
- समोसे: समोसे एक पॉपुलर नमकीन होती हैं जो दशहरे के दिन परिवार और दोस्तों के साथ खाए जाते हैं। इनमें आलू और मसाले का भरपूर स्वाद होता है।
- चना चाट: चना चाट एक स्वादिष्ट और सुपाच्य व्यंजन है जिसमें चने, प्याज, टमाटर, हरी मिर्च, और मसाले का मिश्रण होता है।
- फल चाट: दशहरे के मौके पर फल चाट बनाने का विचार भी होता है, जिसमें ताजे फलों का मिश्रण होता है और उसे मसालों और चटनी के साथ परोसा जाता है।
- मिर्ची भजी: मिर्ची भजी एक प्रकार की फ्राइड चिली पकोड़ा होता है, जिसे तमिलनाडु और केरल में दशहरे पर खाया जाता है।
- खीर: दशहरे के दिन खीर भी बनाई जाती है और मिठाई के रूप में खाई जाती है।
दशहरे के दिन कुछ विशेष ध्यान देने वाली बातें ( Some special things to pay attention to on the day of Dussehra )
- मांस और मछली: दशहरे के दिन मांस और मछली का सेवन नहीं करना चाहिए। यह एक हिन्दू धार्मिक परंपरा के अनुसार इसका सेवन करना गलत माना जाता है।
- शराब और नशा: इस दिन शराब और अन्य प्रकार के नशे का सेवन भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह त्योहार के माहौल के खिलाफ होता है और धार्मिकता के खिलाफ होता है।
- जुआ खेलने से बचें: दशहरे के मेले में जुआ नहीं खेलना चाहिए, क्योंकि यह लक्ष्मी के द्वार को बंद कर सकता है और आर्थिक समृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
- आशीर्वाद और सम्मान: इस दिन, माता-पिता, गुरुओं, और बड़े बुजुर्गों का पूरा सम्मान करना चाहिए, उनके पैर छूना चाहिए और उनके आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
- सम्पूर्ण परिवार के साथ वक्त बिताएं: दशहरे के दिन, परिवार के सभी सदस्यों के साथ समय जरूर बिताएं और दशहरे के बारें में चर्चा करें।
दशहरा सामाजिक ( dussehra social )
दशहरे के पावन अवसर पर हम लोग फ़ोन, वाट्सएप्प, फेसबुक इंस्टाग्राम आदि की मदद से अपने सगे-सबंधियों को दशहरे की शुभकामनाएँ देते हैं।
दशहरे में रामलीला और मेला का आयोजन ( Ramlila and fair organized during Dussehra )
दशहरे के दिन भारत के अनेक जगहों पर रामलीला और उसके बाद मेले का आयोजन होता है। जिसमें श्री राम के जीवन में वर्णित घटनाओं को नाटक के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं। रामलीला के द्वारा हम यह भी दिखाते हैं कि कैसे बुरे कर्मों को करने वाले रावण की लंका और प्रजा सहित सबका सर्वनाश हो गया था। रामलीला के अंतिम दिन मेले का आयोजन भी होता है। जिसमें अनेक प्रकार के मनोरंजन की वस्तुएं, गीत संगीत और नृत्य का कार्यक्रम भी होते हैं। मेले के दिन ही रावण का पुतला बनाकर जलाते हैं और बुराई का नाश करते हैं।
रंगोली बनाना ( making rangoli )
दशहरे में हम अपने घर को आकर्षित दिखने के लिए बहुत ही सुंदर-सुंदर रंग-बिरंगे रंगों से रंगोली बनाते हैं और अपने घर को सजाते हैं।
दशहरा शिल्प और सजावट ( Dussehra Crafts and Decoration )
दशहरे में हम लोग अपने घर को फूल-पत्ती और रंग-बिरंगे रंगों व नए-नए परदो से सजाते हैं। रावण का बड़ा-सा पुतला भी बनाते हैं, जिसको बाद में जलाते हैं और बच्चे ख़ुशी से इसका आनंद लेते हैं।
कैसे होती है रावण दहन की तैयारी ? ( How is preparation for Ravana Dahan? )
रावण पुतला बनने की प्रक्रिया ( Process of making Ravana effigy )
- लकड़ी- सबसे पहले हम अपने अनुसार बांस की लकड़ी को कई टुकड़ों में करके रख लेते हैं।
- निश्चित आकार देना- हम पुतले को आकार देने के लिए लकड़ी की मदद से उसका ढांचा तैयार करते हैं।
- कागज, गोद और रंग का उपयोग करना- हम रावण के पुतले को आकर्षित दिखने के लिए उस पर अनेक कागज की लेयर को गोद के सहायता से चिपकाते हैं और फिर उसे रंगों से पेंट करते हैं।
- डेकोरेशन- अंत में, पुतले को श्रृंगारिक आकर्षण और डेकोरेशन के साथ सजाया जाता है, जिससे उसकी खासियतें और असली रावण की पहचान स्पष्ट हो।
पर्यावरण दृष्टिकोण से रावण का दहन ( Burning of Ravana from environmental point of view )
हम अपने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ही दशहरे का मनोरंजन लेते हैं। रावण का पुतला हम ऐसी चीज़ों से बनाते हैं, जिससे हमारे पर्यावरण को कोई नुकसान न हो और हमारा स्वास्थ्य बिल्कुल सही रहें।
भारत के विभिन्न राज्यों में दशहरा मनने की मान्यता ( Recognition of celebrating Dussehra in different states of India )
भारत में दशहरे त्यौहार को विभिन्न परम्पराऔं व नामों से पूरे भारत में मनाया जाता है।
उत्तर भारत ( North India )
हमारे उत्तर भारत के राज्यों में दशहरा को रामलीला और विजयादशमी के रूप में मानते हैं। इसमें भगवान श्री राम के जीवन की कहानी को नाटक के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं और रावण के पुतले को जलाते हैं। इसके बाद मेले का आनंद लेते हैं।
दक्षिण भारत ( south india )
दक्षिण भारत में दशहरा बनाने की परम्परा, उत्तर भारत से थोड़ा अलग है। कर्नाटक के मैसूर जिले का दशहरा सबसे खास प्रसिद्द माना जाता है। मैसूर में इस दिन महाराजा और महारानी की एक विजय यात्रा निकलती है, जिसमें घोड़े की सवारी भी प्रचलित है। इस दिन लोग देवी-देवता की पूजा करते हैं। माँ दुर्गा की मूर्तियाँ अनेक स्थनों पर स्थापित की जाती है और दशहरे के दिन उसे जल में विसर्जित करते हैं। दशहरा उत्सव में अलग-अलग कार्यक्रम जैसे- कालू, रंगोली बनाना, डांडिया रास और दशहरा पंडाल भी बनाया जाता है।
भारत के पड़ोस देश में दशहरा को कैसे मनाया जाता है? ( How is Dussehra celebrated in India’s neighboring country? )
नेपाल ( Nepal )
नेपाल में दशहरा को “दशैं” के नाम से मनाया जाता है और यह अधिकतर हिन्दू धर्म के अनुयायियों के द्वारा मनाया जाता है। इस त्योहार में विशेष प्रकार के पूजा और पर्व-पूजन के आयोजन किए जाते हैं।
श्री लंका ( Sri Lanka )
श्री लंका में दशहरा को “विजयदशमी” के नाम से मनाया जाता है। यहाँ के लोग अपने घरों को लाइट्स व अन्य चीजों से सजाते हैं। यहाँ पर इस दिन भगवान श्री राम जी की पूजा करते हैं और रावण के पराजित होने की ख़ुशी मनाते हैं।
निष्कर्ष ( conclusion )
दोस्तों, हमारे हिंदू धर्म के दशहरे का त्यौहार यह बताता है, कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है।
अगर हम ज्ञानवान रावण की तरह चरित्रहीन हो गए, तो हमारा सर्वनाश निश्चित है, इसलिए हमे जीवन में हर काम को नेक चरित्र, ईमानदारी और विश्वास के साथ करना चाहिए। यह प्रेरणा हमें चरित्रवान श्री राम जी से मिलती है, जिससे हम भी ईश्वर पर विश्वास रख कर अपने जीवन के हर कार्यों में विजय प्राप्त कर सकते हैं, जैसे कि भगवान श्री राम ने किया।
कम से कम त्यौहार के दिन, तो हम सुबह उठकर अपने माता-पिता, गुरु और बड़े बुजुर्गों का पैर छू कर उनका आशीर्वाद लें और अपने जीवन को सुखमय व उन्नत बनाये।
त्यौहार के दिन में कुछ खास व्यंजन जरूर बनाएं और पूरा परिवार साथ में बैठ कर दशहरे की चर्चा करते हुए भोजन करें।
अगर आपके आस-पास दशहरे का मेला लगा हो तो घर के सदस्यों को जरूर ले जाएँ, जिससे हमारा एक यादगार पल बने, परिवार में प्रेम बढे और आने वाली पीढ़ी को दशहरे की परिचय व जानकारी भी मिल सके।
तो आइये इस दशहरे के त्यौहार के अवसर पर हम ये संकल्प लें, कि आज से हम ईश्वर पर विश्वास करते हुए जीवन में हार कभी नहीं मानेंगें और अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहेंगे, जिससे निश्चित ही सफलता हमारे कदम चूमेगी।