जानिए क्या है छींकने के बाद ब्लेसिंग जुमला बोलने का रहस्य | Know the secret of saying blessing phrase after sneezing

SECRET OF SAYING BLESSING PHRASE AFTER SNEEZING

कुदरत की सबसे प्रिय और सुन्दर रचना मनुष्य है कुदरत ने शरीर के प्रत्येक अंग को एकदम सटीक बनाया है और काम भी एकदम सटीक दिया है जिसे वह अंग बहुत ही पर्फेक्ट्ली कर लेता है।

इतनी बड़ी दुनिया में बहुत सारी अजीबोगरीब चीज़ें हैं, जिसे देख कर मुँह खुला-का-खुला रह जाता है और कुछ ऐसी चीज़ें है जो हमारी लाइफ में बहुत ही नार्मल है, लेकिन कई लोगों को इसके बारे में पता भी नहीं है कि ये असल में क्या है, क्यों है और कैसे काम करता है।

ये पूरा शरीर साँसों पर भी निर्भर है जिससे प्रत्येक अंग ऑक्सीजन लेता है। नाक / नासिका से स्वांस शरीर में जाती है। कभी-कभी इसी नाक से छींक आ जाती है, जो कोई चाह कर भी रोक नहीं सकता ।

छींक सभी को आती है, लेकिन अभी पूछ लो तो दस तरह के ऊल-जुलूल जवाब मिलेंगे,

  • पिता : बाप से सवाल करता है ? ये इतने बड़े हो गए हैं कि अब बाप से सवाल करेंगे। तुम्हारी उम्र में मैं अपने पिता जी के सामने मुँह नहीं खोलता था।
  • माता : तुम्हारे स्कूल में क्या पढ़ाया जाता है ? तुम्हे नहीं पता ?
  • हमजोली : हमें क्या पता यार, बस आती है।
  • और टीचर्स को तो रहने ही दीजिये ।

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छींक भी कई तरह की होती है,

  • छींक अगर छोटे-छोटे बच्चों को आये तो बहुत प्यारे लगते हैं बहुत प्यार आता है
  • लेकिन अगर बड़े छींक दें तो माना जाता है, कि उसी समय अगर कोई किसी काम के लिए जा रहे हों तो वो काम आज तो नहीं ही बन पायेगा, वैसे इस बात से तो मैं भी एग्री हूँ।
  • कुछ लोग बहुत ज़ोर से छींकते है और कुछ लोग बहुत ही धीरे से।
  • कुछ लोग तो छींकने के बाद ब्लेसिंग भी बोलते हैं जैसे ‘सॉरी’ / ‘इस्क्यूज मी’ / ‘गॉड ब्लैस यू’ आदि

तो आज हम बात करेंगे छींक की और छींकने के बाद ब्लेसिंग की,

आवश्यक गुणविवरण
छींक की गति160.93 किलोमीटर प्रति घंटा
कब नही आती हैनींद में
कब आती हैव्यायाम, धूप, यौन-क्रिया के बाद, ठण्डक से, एलर्जी, मांसपेशियों में कमजोरी
ठण्ड की छींक से बचावअदरक और तुलसी की चाय
मान्यतालक्षित कार्य के लिए निकलते समय छींकने पर वह कार्य असफल होगा।
छींक कैसे रोकेंनाक बंद और मुँह से सांस लें ( फिफ्टी-फिफ्टी चांस )
जुमले‘सॉरी’, ‘इस्क्यूज मी’, ‘गॉड ब्लैस यू’, ‘भगवान का नाम’
शुरुआत ( गॉड ब्लैस यू )रोम से
सर्वप्रथम जुमला “गॉड ब्लेस यूपोप ग्रेगरी ने कहा

What Is Sneezing | छींक क्या होती है

छींक प्रत्येक व्यक्ति को आती है। छींक आना एक ऐसी प्राकृतिक क्रिया है, जो पूरी तरह से अनैच्छिक होती है और बिना किसी प्रकार की चेतावनी दिए अचानक से आ आती है। जिसमें फेफड़ों से हवा, मुँह व नाक के द्वारा तेजी से निकलती है, जिसे हम छींक कहते हैं। आइये हम थोड़ा और गहराई में जा कर इस बात को समझते हैं कि असल में छींक क्या है ?

हमारे नाक में म्यूकस नामक बहुत पतली-सी झिल्ली पायी जाती है, जिसके टिशू बहुत ही संवेदनशील होते हैं। दरअसल, जब हमारे नाक के जरिए हवा के अलावा कोई बाहरी चीज हमारे शरीर में प्रवेश करती है, वो सक्रिय हो जाते हैं। ये टिशू हमारे दिमाग को सन्देश देते हैं कि नाक में जाने वाली बाहरी चीज हमारे श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए इसको बाहर निकल दो। तब दिमाग, शरीर व मांसपेशियों को आदेश देता है, फिर पेट, छाती, मुँह, फेफड़े, आँख सभी मिल कर एक साथ काम करते हैं और नाक व मुँह के माध्यम से निकलने वाली हवा अचानक विस्फोट की तरह बाहर निकलती है और छींक आ जाती है।

जिसके परिणामस्वरूप, छींक आने पर हमारे नाक में मौजूद कीटाणु, बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं, और श्वसन तंत्र सुरक्षित हो जाता है और छींक आने का उद्देश्य पूरा हो जाता है।

बार-बार छींक आना, जुकाम या नाक संबंधी किसी ऐसी एलर्जी का शुरूआती संकेत भी हो सकती है, जो नाक में म्यूकस नामक बहुत पतली-सी झिल्ली में सूजन व लालिमा पैदा कर देती है, जिससे लगातार छींक आती रहती है। छींक कुछ अन्य लक्षणों के साथ भी आ सकती है। जैसे- सर्दी, जुकाम-बुखार आदि।

एक और बात है कि इस बात में बिलकुल भी सत्यता नहीं है, कि छींकते समय हमारे दिल की धड़कन कुछ सेकेण्ड के लिए रुक जाती हैं।

इसके आलावा छींक हमें एक स्वास्थ्यवर्धक साँस लेने में मदद करती है।

Due To Sneezing | छींक आने के कारण

छींक आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है, जो प्रत्येक व्यक्ति को दिन में लगभग तीन से चार बार तो आती ही है। लेकिन क्या आपको पता है बार-बार छींक आने के क्या कारण हो सकते हैं। चलिए आज इसके बारें में भी बात करते हैं।

Common causes of sneezing | छींक आने के सामान्य कारण

दोस्तों, क्या आपको पता है कि आखिर हमें छींक क्यों आती क्यों हैं ? अगर आपको इसके बारें में जानकारी नहीं है, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि हमारे नाक में म्यूकस नामक बहुत पतली-सी झिल्ली पायी जाती है, जिसके टिशू अत्यंत संवेदनशील होते हैं।

जब हम साँस ले रहें होते हैं, तो अगर कोई बाहर धूल के कण या अन्य कोई चीज़ नाक के अंदर चली जाती है, तो हमारे मस्तिष्क को पता चल जाता है और फिर हमारा मस्तिष्क फेफड़े को संकेत देता है। फिर फेफड़े एक साथ तेज़ हवा को नाक और मुँह की मदद से बाहर निकालता है और इसी के साथ वो कण भी बाहर निकल जाते हैं, जिसे हम ‘छींक’ कहते हैं। इसलिए दोस्तों, छींक आना एक प्राकृतिक क्रिया है। छींक के द्वारा हमारे नाक से प्रवेश करने वाले गंदगी बाहर आ जाते हैं।

Various Reasons For Sneezing | छींक आने के अन्य कारण

मौसम बदलते ही हमारे शरीर का भी तापमान बदलने लगता है। तापमान के बदलने की वजह से जिनके इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होते हैं, तो उनके तबियत भी ख़राब होने लगती है। इसलिए हमें जुकाम, बुखार जैसी समस्याएँ हो सकती है। छींक आने के अनेक कारण हो सकते हैं। जैसे-

  • मौसम का बदलना
  • एलर्जी के कारण
  • इम्युनिटी सिस्टम का कमजोर होना आदि हो सकता है।

Blessing Jumla | ब्लेसिंग जुमला

छींकने के बाद कभी किसी को ‘सॉरी’ या ‘गॉड ब्लैस यू’ बोले होंगे या अक्सर आपने लोगों को छींक आने के बाद ‘सॉरी’ या ‘गॉड ब्लैस यू’ बोलते हुए कभी न कभी अवश्य ही सुना होगा। इसके जबाब में जो लोग आपके आस-पास मौजूद होते हैं, वे सभी लोग इट्स ओके (it’s ok) कहते हुए सुने ही होंगे। ये लोग ऐसा बोल के उस बात को वहीं पर खत्म कर देते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि वे लोग ऐसा क्यों बोलते हैं। छींक आना एक सामान्य-सी बात है, लेकिन लोग ‘सॉरी’ कहते हैं। आइये आज जानते हैं छींक के पीछे छुए हुए इस रोचक साइकोलॉजी के बारें में बात करते हैं।

ये चलन बढ़ता ही जा रहा है कि कोई इंसान छींक मारे, फिर वो सामने से ‘सॉरी‘ कहने लगे, लेकिन ऐसा क्यों ? ये तो एक सामान्य-सी बात है, क्योंकि छींक सबको आती ही है। कोई भी इंसान जब लोगों के बीच में रहता हैं, तो वह छींकने में असहज महसूस करने लगता हैं और छींकने के बाद ‘सॉरी’ बोलने लगते हैं। छींकने वाले इंसान को लगता है कि मेरी वजह से दूसरे लोग भी डिस्टर्ब हो सकते हैं और अगर हम किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो हमारे द्वारा छींकने के बाद वैक्टीरया सामने वाले के पास जा सकती है, जिससे अगला इंसान भी इन्फेक्टेड हो सकता है।

दोस्तों छींकते समय ‘गॉड ब्लैस यू’ बोलने की परम्परा रोम से शुरू हुई थी। इसके पीछे की रोचक कहानी के बारें में हम आज आपको बताते हैं। दोस्तों, रोम में किसी व्यक्ति को “बूबोनिक प्लेग “ नामक बीमारी हुई थी। जिसमें खांसी और छींक आती है। एक बार जब कोई व्यक्ति ‘बूबोलिक प्लेग’ से ग्रसित था तभी उसको छींक आई। वहां पर उपस्थित “पोप ग्रेगरी” नामक व्यक्ति ने उसे ‘गॉड ब्लैस यू’ कहा, क्योकि ऐसा मानना है कि जब हम छींकते हैं तो कुछ ही सेकेण्ड के लिए हमारे दिल की धड़कन रुक जाती है।

पोप ग्रेगरी के अनुसार, हम ‘गॉड ब्लैस यू’ बोल कर किसी व्यक्ति को मरने से बचा सकते हैं। तभी से सब लोग ‘गॉड ब्लैस यू’ बोलना शरू कर दिए।
दोस्तों, जब हमे छींक आती है, तो हम सोचते हैं कि हमने अपने आस-पास के लोगों को डिस्टर्ब कर दिए। इसलिए उस खेद को व्यक्त करने के हम उनसे माफ़ी मांगते हैं और उन्हें “सॉरी” या “एस्क्यूज मी” बोलते हैं और वे सब हमें “गॉड ब्लैस यू” बोलते हैं।

मित्रों आशा है कि मेरे इस लेख के माध्यम से अब आपको पता चल ही गया होगा कि लोग छींकते समय “सॉरी” और हमारे सामने बैठे लोग हमें “गॉड ब्लैस यू” क्यों बोलते हैं? दोस्तों ऐसा बोल कर हम उन्हें आशीर्वाद देते हैं क्योकि ऐसा माना जाता है कि छींकते समय हमारे धड़कन कुछ पल के लिए रुक जाते हैं और हम उन्हें “गॉड ब्लैस यू” बोलकर उन्हें बचा सकते हैं।

जिंदगी की सफलता का राज है सेहत ठीक,
खुशियाँ होती हैं मिली-भगती जब हैं हम स्वस्थ।

Precautions while sneezing | छींकते समय सावधानियां

दोस्तों जब हम छींकते हैं, तो हमारे शरीर के वायरस हवा में तेज़ी से बाहर निकलते हैं। जिसकी वजह से सामने बैठे लोग भी इस बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं। इसलिए हमें हमेशा छींकते समय अपने नाक और मुँह को रूमाल से ढक कर ही छींकना चाहिए। इससे हमारे व्यक्तित्व का भी पता चलता है। अगर हम छींकते समय नाक और मुँह पर रूमाल रख कर छींकते हैं, तो यह अच्छी आदत मानी जाती है। दोस्तों छींक आना एक नार्मल बात है, परन्तु बार-बार छींक आना, गंभीर एलर्जी के लक्षण हो सकते हैं। इस स्थिति में आप जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह लें।

स्वास्थ्य है सच्ची धन, इसे संजीवनी कहा जाता है,
रौशनी बनाए रखने के लिए, इसे सावधानी से बचाया जाता है।

Why you should not stop sneezing | छींक क्यों नहीं रोकना चाहिए

चलिए आज हम आपको छींक से जुड़ी एक और बहुत जरूरी बात बताते हैं और वो ये है कि छींक आने पर कभी भी छींक को रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, क्योकि छींक एक स्वाभाविक क्रिया होती है। छींक अनेक प्रकार के वायरस, वैक्टीरिया और धूल के कणों को हमारे शरीर के अंदर जाने से रोकता है और अगर गलती से ये हमारे नाक में प्रवेश कर जाये, तो नाक उन्हें तुरंत छींक की मदद से बाहर निकाल देता है।

अगर हम अपने छींक को रोकते हैं, तो यह प्रकिया रुक सकती है, जिसके परिणामस्वरूप हम बीमार भी पड़ सकते हैं। इसलिए हमें कभी भी छींक को रोकनी नहीं चाहिए।

Conclusion | निष्कर्ष

दोस्तों छींकने के बाद ‘गॉड ब्लैस यू’ और ‘सॉरी’ कहना कुछ लोग इसे एक आम बात मानते हैं, परन्तु मेरे विचार से छींकने के बाद ‘गॉड ब्लैस यू’ और ‘सॉरी’ कहना एक समृद्ध और सजीव सामाजिक समर्थन का एक रूप है, छींकने के बाद इनको बोलने से हमारे सामाजिक संबंधों को मजबूती मिलती है और संबंध बनाए रखने में भी मदद करता है। इस सामाजिक प्रथा के माध्यम से लोगों के अंदर इंसानियत जिन्दा रहती है और हम एक-दूसरे के स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के प्रति जागरूक रहते हैं, जिससे हमें सुख-समृद्धि से परिपूर्ण खुशहाल जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है।

एक कहावत कुछ इस प्रकार से प्रशिद्ध है : अच्छा स्वास्थ्य और अच्छी समझ ही दुनिया की सबसे बड़ी दौलत है।

दोस्तों मौसम में उतार-चढ़ाव तो होते ही रहते हैं, परन्तु आप लोग अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य का सदैव ध्यान रखें। दोस्तों छींक आना एक नार्मल बात है, परन्तु बार-बार छींक आना, गंभीर एलर्जी के लक्षण हो सकते हैं। इस स्थिति में आप जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह लें।
मुझे आशा है कि मेरा यह लेख आपको अत्यंत पसंद आया होगा। दोस्तों आप अपना और अपने परिवार का तब तक के लिए ध्यान रखिये। जल्दी ही मिलते हैं एक और नए आर्टिकल के साथ। धन्यवाद !!

By Hari Om

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