आजकल देश तो देश विदेशों में भी लोगों को बहुत तरह की बीमारियां हो रही है। जिसमे blood pressure के मरीज सबसे ज्यादा संख्या मे हैं। अगर हम अपने आस -पास देखें तो blood pressure के बहुत से मरीज मिल जाएंगे। जिसमे से कई लोगों को high blood pressure है तो कई लोगों को low blood pressure है। किसी का शुरुआत हो रहा है तो किसी का मिडिल स्टेज है। लोगों को जो blood pressure हो रहा है उसमे बिगड़े खान -पान का और हवा -पानी का बहुत असर पड़ रहा है। आजकल लोग कई तरह की टेंशन लेके बैठ जाते हैं और परेशान रहने लगते हैं जिससे blood pressure high – low की शुरुआत हो जाती है।
तभी तो डॉक्टर कहते हैं, कि ” ज्यादा सोचा मत करिये जिससे टेंशन हो जाये, कोई भी पारिवारिक समस्या हो, सामाजिक समस्या हो या किसी और तरह की समस्या हो उसके बारे मे ओवर थिंकिन / Over thinking मत करिये, आपके ज्यादा सोचने से कुछ भी नहीं बदलने वाला है, कुछ भगवान के ऊपर और कुछ समय के ऊपर छोड़ दीजिये सब ठीक हो जाएगा, आपको अपनी तरफ से जो फर्ज निभाना था निभा दिया और आपसे जो बन पा रहा है वो कर रहे है और अब आपको अपना ध्यान रखना है “।
तो लोगो को भी पहले अपना ध्यान रखना चाहिए, फिर किसी और चीज़ के बारे मे सोचना चाहिए। आजकल लोगों को तो ये भी नहीं पता होता हैं कि blood pressure कितना होना चाहिए और कितनी तरह का होता हैं, इसलिए ये बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है कि ब्लड प्रेशर के बारे मे अच्छे से जानकारी हो, normal blood pressure कितना होता है, low blood pressure कितना होता है और high blood pressure कितना होता है, कैसे कण्ट्रोल करते है, बचाव पता हो, जिससे ब्लड प्रेशर की क्रिटिकल कंडीशन होने पर बचा जा सके या लोगों को बचा सकें और कोशिश करी जा सके कि इसकी शुरुआत ही ना हो पाए। इसलिए ब्लड प्रेशर की छोटी – छोटी लेकिन जरूरी बातें आपको जरूर जाननी चाहिए।
Blood Pressure | रक्तचाप
ब्लड प्रेशर से अभिप्राय है कि वह बल है जो हमारे शरीर में रक्त संचार के दौरान दी जाने वाली दबाव को दर्शाता है। यह बल हमारी धमनियों (वायरस) की दी जाने वाली मात्रा और हृदय से संबंधित होता है। रक्तचाप को मिलीमीटर या हायड्राम (mmHg) में मापा जाता है और यह दो संख्याओं के माध्यम से प्रदर्शित होता है – सिस्टॉलिक और डायास्टॉलिक। सिस्टॉलिक रक्तचाप हृदय की धड़कन के समय का है, जबकि डायास्टॉलिक रक्तचाप हृदय की विश्राम के समय का होता है। स्वस्थ रक्तचाप मान सामान्यत: 120/80 mmHg होता है।
Types Of Blood Pressure
Normal blood pressure | सामान्य रक्तचाप
Normal blood pressure को “स्वस्थ रक्तचाप (Healthy blood pressure) ” भी कहा जाता है। यह व्यक्ति के हृदय की कार्यशीलता को बनाए रखने और सही तरीके से शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है। स्वस्थ रक्तचाप की सामान्य रेंज अक्सर 120/80 (mmHg) होती है, जो सिस्टॉलिक और डायास्टोलिक normal blood pressure को दर्शाती है।
High Blood Pressure | उच्च रक्तचाप
जिसे हम high blood pressure कहते हैं। इसमें blood pressure नॉर्मल सीमा से अधिक हो जाता है। इसका मुख्य कारण अनेक हो सकते हैं, जैसे कि अधिक मोटापा, तनाव, बिगड़े खानपान और जीवनशैली के अनुरूप अन्य कारण हो सकते है।
Low Blood Pressure | कम रक्तचाप
इसे हम low blood pressure कहते हैं। इसमें blood pressure नॉर्मल सीमा से कम हो जाता है। कम रक्तचाप का मुख्य कारण कमजोरी, खून की कमी, हार्मोनल परिस्थितियाँ, या विशेष रूप से बुढ़ापे के साथ आने वाले बदलाव हो सकते हैं।
Systolic Blood Pressure | सिस्टॉलिक रक्तचाप
सिस्टॉलिक रक्तचाप वह होता है जब हृदय कसकर रक्त को शरीर में पम्प करता है। इसे सामान्यत: पहला या ऊपरी नम्बर के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। यह माप रक्तचाप होता है, जब हृदय सबसे अधिक कसता है।
Diastolic Blood Pressure | डायस्टोलिक रक्तचाप
डायस्टोलिक रक्तचाप वह होता है जब हृदय आराम से रक्त को शरीर में पुनः भेजता है। इसे सामान्यत: दूसरा या निचला नम्बर के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। यह माप रक्तचाप होता है, जब हृदय सबसे अधिक आराम से होता है। इन दोनों रक्तचापों को एक साथ प्रदर्शित करते हुए रक्तचाप को पूरा किया जाता है, जैसे कि “120/80” में 120 सिस्टॉलिक रक्तचाप को दर्शाता है और 80 डायस्टोलिक रक्तचाप को दर्शाता है।
Types of High Blood Pressure | हाई ब्लड प्रेशर के प्रकार
Primary Hypertension | प्राइमरी हाइपरटेंशन
अधिकतर लोग प्राइमरी या एसेंशियल हाइपरटेंशन से प्रभावित होते हैं। इस हाइपरटेंशन के लक्षण का पता नहीं चलता है, और उम्र के बढ़ने के साथ ही इस समस्या का गंभीर होने का खतरा बढ़ता है।
Secondary Hypertension | सेकेंडरी हाइपरटेंशन
सेकेंडरी हाइपरटेंशन, जिसे अन्य रूप में “उत्तराधिक रक्तचाप” भी कहा जाता है,इसमें blood pressure बहुत अधिक बढ़ जाता है। कम उम्र में भी लोगों को high blood pressure की समस्या होने लगती है। इसके अलावा सेकेंडरी हाइपरटेंशन से पीड़ित मरीजों की हार्ट-बीट (हृदय की गति) बहुत तेजी से बढ़ने लगती है और सिर दर्द की समस्या उत्पन्न होने लगती है, इसके अलावा और भी समस्या हो जाती है जैसे कि किडनी रोग, थायराइड समस्याएं, या हृदय संबंधी समस्याएं।
Gestational Hypertension | जेस्टेशनल हाइपरटेंशन
जेस्टेशनल हाइपरटेंशन” एक चिकित्सा शब्द है जिसका अर्थ होता है एक व्यक्ति का रक्तचाप असामान्य रूप से बढ़ जाना। इसका सीधा प्रभाव हृदय, शिरा, और अन्य शरीर के अंगों पर होता है और इससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। ज्यादातर इसका संबंध गर्भवती महिलाओ से होता है जब महिलाये गर्भावस्था के दौरान 20वें सप्ताह के बाद high blood pressure की समस्या होती है। इस दौरान यूरिन में किसी भी तरह का एक्स्ट्रा प्रोटीन नहीं होता है और ना ही किसी तरह के ऑर्गन डैमेज होने के लक्षण होते हैं। यह शरीर के अलग-अलग अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कई बार यह मां और बच्चे के लिए गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर देते हैं। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान उच्च रक्तचाप का उपचार करना बहुत जरूरी होता है।
Resistant Hypertension | प्रतिरोधी हाइपरटेंशन
Resistant high blood pressure, जिसे विशेष रूप से “हाइपरटेंशन” भी कहा जाता है, एक स्वाभाविक स्थिति है जिसमें रक्तचाप शरीर के सामान्य सीमा से अधिक होता है। इसकी रक्तचाप की अधिकता होने के कारण हृदय, धमनियों, और अन्य शरीर के अंगों को अधिक काम करना पड़ता है,जिससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। Resistant high blood pressure का कारण विभिन्न हो सकता है, जैसे कि आदतें, आहार, आयु और आनुवांछिक गुण। इसमें मेडिकल प्रोफेशनल की सही देखभाल के बिना गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। किसी भी रोगी के लिए उपयुक्त उपचार के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह अपने डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी सलाह का पालन करें।
Cholesterol | कोलेस्ट्रॉल
कोलेस्ट्रॉल एक तरह का वसा है जो हमारे शरीर में पाया जाता है,जो शरीर की हर कोशिका में होता है। यह शरीर के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह हमारे शरीर के कई कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो सेल मेम्ब्रेन का निर्माण, हार्मोन उत्पादन और विटामिन डी के निर्माण में मदद करता। यह दो तरीकों से उत्पन्न होता है, एक खाने से और दूसरा लिवर द्वारा निर्मित होता है। स्वास्थ्य व्यक्ति के शरीर में टोटल कोलेस्ट्रॉल: 200 से कम, HDL – 60 से ऊपर,LDL – 130 से कम होता है।
हृदय को स्वस्थ रखने में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का अहम रोल होता है। हमारे शरीर में यह दो तरह से पाया जाता है।
गुड कॉलेस्ट्रॉल (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन/HDL)- खून में अतिरिक्त कॉलेस्ट्रॉल को नसों में जमने से बचाता है और इसे लिवर तक पहुंचाता है। फिर लिवर इसे शरीर से बाहर निकालने का कार्य करता है। यह ऐसे कॉलेस्ट्रॉल को बाहर निकालता है जिसकी शरीर में आवश्यकता नहीं होती।
बैड कॉलेस्ट्रॉल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन/LDL)- यह नसों में प्लाक को जमा देता है और नसों को संकुचित करके उसे अथेरोस्क्लेरोसिस बना सकता है। इस प्रकार, हृदय तक पर्याप्त मात्रा में खून और ऑक्सीजन पहुंचाने में कठिनाई हो जाती है, जिससे स्ट्रोक या हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती है
Types of blood pressure and their measurements
ब्लड प्रेशर के प्रकार (Types of blood pressure) | सिस्टॉलिक रक्तचाप (Systolic Blood Pressure) | डायस्टोलिक रक्तचाप (Diastolic Blood Pressure) |
सामान्य रक्तचाप (Normal Blood Pressure) | Less than 120 mm Hg | Less than 80 mm Hg |
उच्च रक्तचाप ( Elevated Blood Pressure ) | 120-129 mm Hg | Less than 80 mm Hg |
लौ ब्लड प्रेशर ( Low Blood Pressure ) | Less then 90 mm Hg | Less than 60 mm Hg |
Hypertensive | Higher than 180 mm Hg | Higher than 120 mm Hg |
Hypertension Stage 1 | 130-139 mm Hg | 80-89 mm Hg |
Hypertension Stage 2 | 140 mm Hg or higher | 90 mm Hg or higher |
Ways to reduce high blood pressure | हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के उपाये
High blood pressure की एक ऐसी बीमारी है जो आगे चलकर जानलेवा साबित हो सकती है। मगर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस बीमारी को कण्ट्रोल किया जा सकता है। बस कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है।
Healthy food | स्वस्थ आहार
खाने में कम नमक और तेल का उपयोग करें। स्वस्थ आहार जैसे हरी सब्जियां, फल, अनाज, और दूध को शामिल करें, मार्किट के फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फ़ूड के सेवन से बचें।
Regular Exercise | नियमित व्यायाम
high blood pressure के रोगियों को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए ,इससे उनको high blood pressure को कम करने में मदद कर सकता है। योग, ध्यान, टाई ची, और व्यायाम की अन्य रूपों को आजमाएं।
Lose weight | वजन कम करें
अत्यधिक वजन या मोटापा हाइ ब्लड प्रेशर के बढ़ने का कारण बन सकता है, इसलिए बढ़ते वजन को कण्ट्रोल रखे और संतुलित आहार का सेवन करे अपने वजन की कड़ी निगरानी रखें।
Stability aur Rest | स्थिरता और आराम
हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को प्रतिदिन सही मात्रा भरपूर नींद लेनी जरूरी है और काम के साथ -साथ दिन में आराम करें,रात में सोने का समय भी नियमित होना चाहिए, रात को भोजन करने के बाद 2 घंटे के ही बाद सोना चाहिए।
Avoid Tobacco and alcohol | तंबाकू और शराब से बचें
तंबाकू और शराब का सेवन बंद कर दे या बिलकुल कम कर दे, इनके ज्यादा सेवन करने से शरीर में हाइ ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ जाती है। जिससे हाई ब्लड प्रेशर से कई बीमारियों की उत्पत्ति होने का खतरा बना रहता है।
Reduce stress | स्ट्रेस कम करें
ज्यादा स्ट्रेस करना भी हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है। इसलिए मनुष्य को ज्यादा स्ट्रेस से बचे रहना चाहिए, अगर स्ट्रेस का समय-समय पर सामना करना पड़ता है तो उसके लिए ध्यान, योग, या आरामदायक गतिविधियों को अपनाएं।
कृपया ध्यान दें कि ये सुझाव एक डॉक्टर की सलाह के बिना अपनाए नहीं, और यदि आपको हाइ ब्लड प्रेशर है, तो आपको अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
लौ ब्लड प्रेशर और हाई ब्लड प्रेशर में उपयोग होने वाले फल और सब्जियां
(Fruits and vegetables used in low blood pressure and high blood pressure)
ब्लड प्रेशर (Blood Pressure ) | फलो (Fruits) | सब्जियां (Vegetables) |
लौ ब्लड प्रेशर | केला, सेब, नाशपाती, खुबानी,आम, तरबूज, अनार, आलूबुखारा, एवोकैडो, खरबूजा | पत्ता गोभी, टमाटर,आलू , सोयाबीन ,गाजर और चुकंदर |
हाई ब्लड प्रेशर | कीवी, तरबूज, आम, स्ट्रॉबेर्री, केला, शकरगंधी, संतरा, बेरीज | बीन्स, शलजम, मटर, सरसों का साग, मेथी, पालक, ब्रोकली |